#दोस्ती #friendship #यारी #मित्रता

  दोस्ती   सुहाना  अहसास  है।

  सभी  रिश्तों  में  ये  खास  है।

  बड़े भाग्य से मिले एक दोस्त, 

  समझ  लो  कायनात पास है

#ये किताबें #बुक्स #विश्वपुस्तकदिवस

 ये किताबें

खामोश रहकर भी कितना
सिखाती,
काम की थकन को पलों में
मिटाती,
बीते पलों को फिर से
खिल-खिलाती,
सारे ज्ञान को अपने में
दर्शाती,
जीवन जीनें की नित राह
दिखाती,
होता मन उदास जो साथ
निभाती,
लेपटॉप,मोबाइल में खो
जाती,
ये किताबें हर दिन नजरें
बिछाती।।
     संगीता दरक माहेश्वरी

#धरती #पृथ्वीदिवस #नदियाँ

 धरती   तरुवर   माँगती, 

नदियाँ    माँगे   नीर।

अति दोहन नित है बुरा, 

मनवा अब रख धीर।।

#बढ़ते तलाक क्यों और कैसे रोके#how to keep love in relationship

 बढ़ते सम्बन्ध विच्छेद कारण और निवारण


सम्बन्ध अर्थात एक साथ बँधना या जुड़ना
किसी से जुड़ना  मन में उत्साह भर देता है और उसी से जब विच्छेद होता है तो मन दुखी हो जाता है।
संबंध विच्छेद एक पक्ष की तरफ से नहीं होता है क्योंकि कोई एक निभाने का प्रयास करता है तो शायद संबंध बने रहते हैं।
हमारे समाज का चिंतनीय पहलू एक यह भी है कि समाज में युवकों के सम्बन्ध नही हो रहे ऐसे में सम्बन्ध विच्छेद का होना दुःखद है ।
सम्बन्ध विच्छेद के कारण:-
*आजकल विवाह सम्बन्ध में पहले की भांति गुण और गोत्र नही देखे जाते पहले लड़के और लड़की के गुण मिलाते थे, ओर माँ के मामा और पिता के मामा की साख टालते थे, मतलब एक गोत्र होने पर रिश्ता नही होता था, क्यों कि ऐसा माना जाता है कि एक ही कुल के परिवार में स्वभाव प्रवति एक जैसी रहेगी तो पति पत्नी के रिश्तों में सामंजस्य या तालमेल कैसे आएगा ।
जैसे दोनों को अगर गुस्सा क्रोध ज्यादा आएगा तो रिश्ता कैसे निभेगा।
*बहुत सी बार बच्चे शादी के लिए तैयार नहीं होते (उनकी उम्र तो हो जाती है) तो उनको जब घर वाले राजी करते हैं तब वो अपने रिश्ते को निभा नही पाते है।

*आजकल सही उम्र में विवाह नही हो रहे बढ़ती उम्र के सम्बन्धो में तनाव होता है फलस्वरूप  सम्बन्ध टूट जाते है ।

*कहते हैं कि एक सिक्के के दो पहलू होते है
पुनर्विवाह  होने से बहुत से घर बसे है लेकिन आजकल ऐसी सोच हो गई कि चलो नही निभ रहा तो दूसरा सम्बन्ध कर देंगे ।
* बच्चे आजकल बाहर रहकर पढ़ाई करते हैं और परिवार से दूर रहकर बच्चे बाहर के माहौल में ढलने लगते हैं, और अपने संस्कारों से दूर होने से बच्चों में अपने रीति रिवाजों की समझ नही होती।
परिवार में साथ रहकर कैसे रिश्तो को निभाना है, कैसे एक दूसरे को समझना है वो समझते ही नही है ।
आज की युवा पीढ़ी  हर चीज को पैसे से खरीद लेंगे ऐसी सोच रखते हैं इसलिए भी  रिश्तो को इतना महत्व नहीं देते।

*आजकल बेटियाँ भी खूब पढ़ लिख रही है अपने पैरों पर खड़ी हो रही है खुद कमा रही है तो वह भी समझती है कि मैं क्यों सहन करूँ या निभाऊं, मैं तो अपना जीवन अपने मुताबिक जी सकती हूँ।

*बेटी ससुराल की हर बात मायके वालों को बताती है तो माँ अपनी बेटी के मोहवश गलत सीख देती है ये भी संबध विच्छेद का एक कारण है।
मायके वालो का जरूरत से ज्यादा बेटी के घर में हस्तक्षेप बेटी को ससुराल में किसी चीज की कमी हो तो वो कमी मायके वाले का पूरा करना भी कही न कही गलत है।
आज  रिश्ते इस मोबाइल फोन की वजह से भी टूट रहे हैं ।

*महानगरों में रहने वाले पति-पत्नी की जीवन शैली ऐसी होती है कि दोनों को बात करने समझने समझाने का समय नहीं।
समय की कमी और हमारी बढ़ती जरूरतो ने इंसान को मशीन बना दिया है,
पति-पत्नी का एक दूसरे को समय नहीं दे पाना यह भी  कारण है सम्बन्ध विच्छेद का।

*आजकल नई हवा यह भी चली है की शादी के दो-तीन वर्ष बाद भी युगल अपना परिवार बढ़ाते नहीं है,कहते हैं कि बच्चे से पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है लेकिन वह पति पत्नी अगर दोनों कामकाजी है तो दोनों अपनी भविष्य की योजनाओं की ओर देखते हैं दोनों अपने भविष्य के बारे में सोचते और कहते हैं कि एक बार सेटल हो जाए फिर परिवार बढ़ाएंगे।

निवारण
ऐसी कुछ बाते जिनको अमल में लाये तो  बढ़ते सम्बन्ध विच्छेद को रोका जा सकता है#
*सम्बन्ध करते समय गोत्र का ध्यान रखा जाए और गुण भी मिलाए जाए।
*विवाह सही उम्र में हो और
बच्चो की रजामंदी से  हो और वो विवाह के रिश्ते को लेकर पूर्ण रूप से तैयार हो तो ही विवाह करे ।
*पहले विवाह सम्बन्धो में  मध्यस्थ की भूमिका प्रमुख रहती थी,मध्यस्थ दोनों पक्ष की बातों को रखता और दोनों पक्ष मध्यस्थ की बात को महत्व देते थे ।और सम्बन्ध टूटने की कगार पर होता है तब मध्यस्थ दोनों परिवारों को साथ मे लेकर बात करते है ।
*बच्चे बाहर रहे पर उनको अपने त्योहारों और घर के  कार्यक्रमो उत्सव में उनको जरूर बुलाए ताकि वे अपने परम्पराओ और रिवाजो को समझे।

*बेटीयों को उच्च शिक्षा जरूर दिलाए मग़र जीवन के तौर तरीके रिश्ते नाते परम्पराओ के बारे में भी समझाए।

*बेटी का हर बात को मायके वालों से न कहना और माँ की सही  सीख भी बेटी के संसार को बसा सकती है ।
जरूरत पड़े तो बेटी और दामाद को बिठाकर समझावें।
बेटी की गलतियों को मायके वाले को बढ़ावा नही देना चाहिए और न ही (वरपक्ष)बेटे की गलतियों को अपने परिवार द्वारा छुपाना नहीं चाहिए।
*शहरों में परिवार से दूर रहने वाले पति पत्नी को एक दूसरे को समय जरूर देना चाहिए। साथ  बैठने से कई  समस्या सुलझ जाती है ।
परिवार के साथ रहते हैं तो एक दूसरे की गलती या मनमुटाव होने पर परिवार के  बड़े समझाते हैं तो दोनों समझ जाते हैं
छोटी- छोटी बातें बड़ी नहीं बनती
रिश्तो के महत्व को समझाते ।

*पति पत्नी को अपने काम के भविष्य की योजनाओं के  साथ अपने रिश्ते के भविष्य का भी सोचना चाहिए समय से परिवार को बढ़ाना चाहिए ।जिनसे दोनों के सम्बन्ध और प्रगाढ़ हो।
और अंत में.....
पहले सम्बन्ध करने से पहले घरवालों की बात होती थी  लड़का लड़की देखते थे  और रिश्ता तय हो जाता था और शादी हो जाती है और बेटियों को माँ की सीख रहती है कि तेरा घर वही है तुझे वहीं निभाना है और रिश्ते निभते भी थे
लेकिन अब खुले विचार के लड़के लड़की एक दूसरे को खूब समझते फोन पर बातें करते मिलते और शादी तय होती और उसके बाद दोनों में सामंजस्य तालमेल नहीं बैठता है और हो जाता है संबंध विच्छेद।
ऐसी स्तिथि में दोनों परिवारों को बैठकर बात करनी चाहिए उनको ये अहसास दिलाना चाहिए की
पहले आपस में इतनी बातें नहीं होती थी तो भी रिश्ते अच्छे से निभते थे । किसी को स्वीकार करो तो उसकी कमियों के साथ दोनों एक दूसरे की भावनाओ का सम्मान करना चाहिए।
आजकल पति पत्नी में एक दूसरे के प्रति सम्मान की कमी हो गई है ,रिश्तो में
अहंकार ने अपनी जगह बना ली।
पति पत्नी का स्वरूप नारायण और लक्ष्मी सा होता है इस रिश्ते में दोनों को एक दूसरे के प्रति आदर और सम्मान देना चाहिए।
एक दूसरे की कमियों को नजरअंदाज करना चाहिए ।
कभी कभी ऐसा भी होता है कि पत्नी मायके वालों का ज्यादा ध्यान रखती है या उनका हस्तक्षेप ज्यादा होता है मायके वाले अगर धनाढ्य है और ससुराल में इतनी सम्पन्नता न हो तो भी पत्नी को अपने ससुराल का मान रखना चाहिए।
और अगर परिस्तिथि विपरीत हो तब पति को ध्यान रखना चाहिए । 
पति और पत्नी दोनों को विवाह जन्मजनमोत्तर का बंधन है और जोड़ियां ईश्वर बनाता है ऐसा सोचकर सम्बन्धो का निर्वाह करना चाहिए । कभी एक नाराज हो तो दूसरा मना ले कभी एक थोड़ा सब्र रख ले
जीवन रूपी गाड़ी को खींचने के लिये दोनों पहिये समान रूप से जुटे रहे बस ।फिर सुखी संसार।।
                       
               
 













होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

  होलिका दहन आज उठाती है सवाल! होलिका अपने दहन पर,  कीजिए थोड़ा  चिन्तन-मनन दहन पर।  कितनी बुराइयों को समेट  हर बार जल जाती, न जाने फिर ...