जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
रौनक मेरे गाँव की Ronak mere ganv ki , beauty of my village
ख्वाहिशों का यह शहर बसा कैसा,
शौर में दब गई ।
गांव की पगडंडी अब एक
खुले आसमाँ में गिनते थे जो ,
तारे वह दिन अब ना रहे ।
सितारों से भरा आसमाँ
आँखो में यूँ बसा लेते थे ,
मानो जहाँ को रोशन करने की ख्वाहिश हो ।
हाथ में हमारे वक्त रहता था ,
जी चाहे जब अपनों के संग
खर्च कर लेते ।
पहले जमीन से आसमाँ
को निहारना बड़ा अच्छा लगता था ।
अब गगनचुंबी इमारतों से
"ख्वाहिशों की खाई है कि
दिन यूँ ही गुजर जाता है
कभी-कभी
गैरों की क्या कहूँ ,अपने आप
सब कुछ पाकर भी
संगीता दरक माहेश्वरी
सर्वाधिकार सुरक्षित
ना बंदिशों की परवाह , flight of confidence ,उड़ान है आत्मविश्वास की
ना बंदिशों की परवाह है
ना बंदिशों की परवाह है,
ना परंपराओं की जकड़न
आत्मविश्वास का पहना,मैंने अचकन उम्मीद से भरे पंख मेरे,
हौसलों से भरी उड़ान है ,
समेट लूँ आज,सारा जहां में
कि साथ मेरे सपनों का आसमान है,
ना मन को समझाऊं मैं,
ना पग धरु पीछे में,
ना ख्वाहिशों को अपनी छिपाऊँ में , काबिलियत अपनी सारे जहां
को दिखाऊँ मैं।
कि साथ मेरे सपनों का आसमान है।
तारों के साथ आज,
उजाले की बात करते हैं ।
काले अँधेरो पर आज रौशनी बिखेरते है।
सपनों के आसमान में सूरज सा जगमगाते है,
धरती के तिमिर को पल में हराते है।
बस इतना सा अरमान है ,
साथ मेंरे आज सपनों का आसमान है।
संगीता दरक
सर्वाधिकार सुरक्षित
भूल गए हम.....Bhul gay hum , we forgot .
दोस्तों नमस्कार , आपको कितना याद है और कितना भूल गए आपने जो बचपन जिया क्या अभी की पीढ़ी वैसा बचपन जी रही है ।शायद नही ,इसी विषय पर मेरी रचना पढिये और् अपने पुराने दिनों को याद करिये और सोचियेगा की क्या "भूल गए हम"
भूल गए हम........
पहले भी दो रोटी का जुगाड़ वो करते थे ,पर हमसे बेहतर वो जीते थे।
जीने की जद्दोजहद में, हम जीने के अंदाज भूल गए ।
ख्वाहिशों के पीछे,भागते- भागते
रिश्तों के साथ सुस्ताना भूल गए ।
वो खुली छत पर आसमान को निहारना और तारों को गिनना,
गिनने की गिनती हम भूल गए ।
ना रूठना याद रहा ना मनाना
सोशल मीडिया के चक्कर में ,अपनों
की खुशियों को भूलना हम भूल गए।
छुपम छुपाई,राजा मंत्री चोर सिपाही
पकड़ा और पकड़ी (पुराने खेल)
मोबाइल के गेम के चक्कर में सारे
खेल खेलना हम भूल गए।
समर कैंप और छुट्टियों में भी
क्लासेस इन क्लासेस के चक्कर में,
नाना-नानी के घर की मौज
हम भूल गए ।
बना लिए बड़े-बड़े मकान और
खुशियाँ
जहाँ की खरीद ली
बस मकान को घर बनाना,
और थोड़ा सा मुस्कुराना हम भूल गए ।
बस थोड़ा सा मुस्कुराना हम भूल गए।
समय और नई सोच के चक्कर में हम परिवार को आगे बढ़ाना भूल गए ।
आने वाली पीढ़ी को मामा और बुआ के रिश्तो में बाँधना हम भूल गए ।
दिया सबको सब कुछ बस थोड़ा सा
वक्त देना हम भूल गए।
याद रहा जीना हमको बस जीने का
अंदाज हम भूल गये।।
संगीता दरक
सर्वाधिकार सुरक्षित
#साथी हाथ बढ़ाना ,#partner raising hand
साथी हाथ बढ़ाना
खुशियाँ हो चाहे गम हो,
दौलत ज्यादा हो या कम ।
तू समझ ना ,
किसी को छोटा या बड़ा
सर पर तेरे आसमाँ,
और तू नीचे खड़ा।
करः सके तू किसी का भला, तो तू करः
और बढ़ा सके जो हाथ,
किसी को बढ़ा लिया करः
साथी हाथ बढ़ाना ,यही सबसे कह दिया कर
एक अकेला कुछ न करः पायेगा
पर जब सब मिलकर हाथ बढ़ाएंगे तो
ना मुमकिन भी मुमकिन बन जायेगा
संगीता दरक
सर्वाधिकार सुरक्षित
मैं इश्क सा, i love
मैं इश्क सा💞💞💞
मैं इश्क सा बरसता रहुँ
तू वफ़ा सी खिलती रहे
मैं हवा सा बहता रहूँ,
तू खुशबू सी मिलती रहे
बन जा कभी तू मेरा आसमाँ,
तो मैं जमीं बन जाऊँ
तुझे देख देख मैं भी सवँर जाऊँ
संगीता दरक माहेश्वरी
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होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #
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