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हाथों की लकीरे, hand lines , hatho ki lakiren


     

क्यों हम कर्म से ज्यादा विश्वास  हाथों की लकीरों पर करते है ।आज इसी विषय पर मेरी रचना पढ़िये और सोचिये और अपने कर्मो पर विश्वास रखिये।🙏 

हाथों की लकीरे
हाथों की लकीरों को हाथों में रहने दे
है मंजूर, तकदीर को जो होने दे
मुकद्दर से जो मिलता है,
वो समेट लिया कर

आरजुएं इतनी भी अच्छी नही होती
पढ़ले तकदीर हर कोई हमारी
इतनी सस्ती भी नही होती

वक्त से पहले और नसीब से ज्यादा
किसी को मिलता नही
काँटों के बिना गुलशन कभी
महकता नही

जो बैठे है तकदीर को पढ़ने वाले
पूछो उनसे अपनी किस्मत का हाल

रख भरोसा तू नेक काम किये जा
तकदीर  पूछेगी  तुझसे बता
तेरी रजा क्या है।।।
               ✍️संगीता दरक
                   सर्वाधिकार सुरक्षित

हाँ मैने जीना सीख लिया,yes i learned to live,हाँ मैंने जीना सीख लिया

  सादर नमन
मेरी ये रचना आपमें नयी ऊर्जा का संचार करः देगी
और आप कह उठेगी की
हाँ मेने जीना सीख लिया

हाँ मेने जीना सीख लिया
कुछ मन को समझाया,   
कुछ मैंने समझ लिया ।  
बैरंग तस्वीरों में,
रंग भरना सीख लिया ।
हाँ,मैंने जीना सीख लिया   
सपनों के पीछे भागना,
मैंने छोड़ दिया 
अपने आपको हकीकत
से जोड़ दिया ।
निकली थी जिन राहों पर
पाने को मंजिल
उन राहों पर फिर से
चलना सीख लिया।         
हाँ,मैंने जीना सीख लिया ।  
गम को उलझाना ,
और खुशियों को सुलझाना ,
खामोशी से हर बात,
अपनी कह जाना सीख लिया ।
हाँ मैंने जीना सीख लिया। 
जिंदगी के मेंले में मिले हजारों,
लेकिन मैंने अपने आप से
मिलना सीख लिया ।
कोई मुझे समझ ना पाया पर मैंने ,सबको समझ लिया।
हाँ मैंने सबको समझ लिया।
गम के मोतियों को खुशियों की
माला में पिरोना सीख लिया ।
 हाँ मैंने जीना सीख लिया।
हाथों की लकीरों को मैंने
पढ़ना सीख लिया ।    
तकदीर से आगे बढ़ना सीख लिया।
तकदीर से आगे बढ़ना सीख लिया ।
हाँ मैंने जीना सीख लिया!
हाँ मैंने जीना सीख लिया!!

           संगीता दरक माहेश्वरी
              सर्वाधिकार सुरक्षित

              

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

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