धरती तरुवर माँगती,
नदियाँ माँगे नीर।
अति दोहन नित है बुरा,
मनवा अब रख धीर।।
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
होलिका दहन आज उठाती है सवाल! होलिका अपने दहन पर, कीजिए थोड़ा चिन्तन-मनन दहन पर। कितनी बुराइयों को समेट हर बार जल जाती, न जाने फिर ...
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