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मेरे देश का हाल तो देखो,mere desh ka hal to dekho


    मेरे देश का हाल तो देखो
प्रशासन की योजनाओं का लगा है अंबार,
व्यवस्थाओं का हाल तो देखो।
शराब ,गुटखे बिकते धड़ल्ले से
वैधानिक चेतावनी और,
ना खाने का विज्ञापन तो देखो।
होती हैं घटनाये, सुलगती है माँ की गोद,
इन घटनाओं पर राजनीति करने का 

अंदाज तो देखो।
संसद के कैंटीन के खाने का हो जायका

 या हो वीआईपी सुविधाऐ ,
कभी आम आदमी की तरह कतारों में लगकर तो देखो।
सत्रह उलझनों में उलझा रखा है आदमी को,
कभी इनकी उलझनों को सुलझाकर तो देखो।
लाडली से लेकर सुकन्या और अनगिनत योजनाए ,पर बेटियो को"निर्भया" बनने से रोककर तो देखो।
लगी है आग चारो तरफ, पूछते हो जला

 क्या -क्या,

कभी ये आग बूझाकर तो देखो ।

उस पिता का दिल कभी अपने सीने पर लगाकर तो देखो।
बनाते हो हर बात को मुद्दा, कभी मुद्दे की बात करके तो देखो ।
पक्ष विपक्ष बनकर करते हो तकरार ,
देश हित में कोई मुद्दा उठाकर तो देखो।
चुनावी  दौरे ,रैलियों में जितना जोश दिखाते हो ।
कभी देश हित में आजमाकर तो देखो।
स्वछता का चलाया है जो अभियान सही मायने में देश की गंदगी को हटाकर तो देखो।
अंत में--
""मत बैठो आँखे मूँदकर पता नही कब क्या हो जायेगा। फिर कोई भेड़िया बचपन 

तार -तार कर जायेगा""
देश को आगे बढ़ाना है तो बढ़ाओ पर बेटियो को तो बचाओ।।।

               ✍️संगीता दरक माहेश्वरी
                     सर्वाधिकार सुरक्षित

आम आदमी हूँ मैं

सबसे सरल और सीधा लेकिन मुश्किलों भरा जीवन जीने वाला आम इंसान ।
लेकिन उसे  अपने आप को हरेक परिस्तिथियों में खुश रखना आता है यही सब मेरी रचना में पढ़िये.....

         आम आदमी हूँ
जानता हूँ, जीने का हुनर तो
मरने की कारीगरी भी आती हैं।
जीएसटी और नोटबंदी को
त्यौहार सा मना लेता हूँ।
दिये हो तो रोशन कर देता हूँ
वरना ,अंधेरों से काम चला लेता हूँ।  आम आदमी हूँ,ख्वाहिशें
बेचकर गुजारा कर लेता हूँ।
उलझता नहीं मैं अच्छे दिनों की
प्यास में।
जानता हूँ, बरसो बैठा रहा
मेरा राम भी इसी आस  में ।
काले और सफेद(धन)
के चक्कर में नहीं पड़ता ,
मिट्टी में सोना उगाना जानता हूँ।  
जानता नहीं मैं, राजनीति के
दाँव पेच लेकिन 56 इंच का
सीना लिए पहरेदारी करता हूँ
सीमा पर ।
आम आदमी हूँ साहब जीना जानता हूँ
आता है मुझे, अपनी ख्वाहिशों
पर पैबंद लगाना ।
देता हूँ बच्चों को आसमाँ उड़ने के
लिए पर , बंदिशें आरक्षण
की भी जानता हूँ।
सामान्य सी मुस्कान लिए आरक्षण
का दर्द भी झेल जाता हूँ।
हँसता हूँ हर पल जिंदगी जी लेता हूँ। जानता हूँ , जीने का हुनर तो
मरने की कारीगरी भी आती है मुझे !!!
               ✍️संगीता दरक माहेश्वरी
                     सर्वाधिकार सुरक्षित

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

  होलिका दहन आज उठाती है सवाल! होलिका अपने दहन पर,  कीजिए थोड़ा  चिन्तन-मनन दहन पर।  कितनी बुराइयों को समेट  हर बार जल जाती, न जाने फिर ...