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मैं नारी,i woman, M naari

                 मैं नारी
मैं और तुम शक्ति का प्रतिबिंब है,
रिश्तों का हर छोर बंधा हमसे
हमसे ममता हमसे प्यार, दुलार
हाँ,प्रकृति में  हमसे ही है प्यार
घर संसार हमसे ही तो बसा
हाँ हमने ही तो संसार रचा
रिश्तों के हर रूप को हमने
ही तो सवाँरा है
हरेक रिश्तों में  हमने ही तो
रंग बिखेरा है
यूँ तो हर दिन पर हमारा राज है
पर आज कुछ  खास है
चाँद और मंगल पर भी घर नही बस सकता
हमारे बिना फिर earth की तो क्या बात है

      ✍️संगीता दरक माहेश्वरी
            सर्वाधिकार सुरक्षित

घर की अर्थ व्यवस्था में हमारी भूमिका


कोरोना महामारी के कारण सब बंद है लेकिन हम महिलाओं की रसोई कभी बंद नही रहती हमारी जिम्मेदारियां अभी और बढ़ गई है ,ऐसे वक्त में जब आमदनी का कोई साधन नही है तब हमारी भूमिका रसोई से लेकर अर्थ तक हो जाती है पढ़िए मेरे विचार...

आज रसोई में क्या बनाया जाये ।
क्या चीज ख़त्म हुई है किसका स्टॉक है लॉक डाउन और कोरोना के कारण घर की सब्जी दाल ही बना ले आदि का ध्यान हम महिलाये ही रखती है
हम नारियों के बिना सृष्टि का हर काम अधूरा है
घर की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में हम नारियों की  भूमिका
1.स्त्री के बिना  घर की कल्पना संभव ही नहीं है नारी जीवन की धुरी है जब सारे व्यापार व्यवसाय और कामकाज बंद है तब भी हमारा काम चलता रहता है हमे कोई छुट्टी नही कोई अवकाश नही और हमारी सेलेरी परिवार के सदस्यों की मुस्कान है अभी के समय में डॉ,पुलिस और सफाईकर्मी के कार्य सराहनीय है तो हम लोगो का कार्य भी कुछ कम नहीं कोरोना महामारी से बचने के कारण जो लॉक डाउन हुआ है उससे हमारी आर्थिक व्यवस्था गड़बड़ा गई है आमदनी तो रुक गई है लेकिन खर्च यथावत या यूँ कहु कुछ बड़ गया है ऐसे समय में हमारी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है यूँ तो  परिवार के हर मौके पर चाहे वह खुशी हो चाहे दुख की घड़ी हो हमारीभूमिका महत्वपूर्ण ही है
2.हम महिलाएँ  बचत करने में निपुण होती है  हम बचत ऐसे  वक्त के लिए ही करते हैं हमारे बचत विषमपरिस्थितियों में ही काम आती है  रसोई में हमारी भूमिका अभी हमें घर की सब्जी दाल का उपयोग करना चाहिए और ऐसी खाद्य वस्तुओं का उपयोग कम मात्रा में करना चाहिए जो बाजार से लाना पड़े हमें एक सब्जी  या दाल से भी काम चला लेना चाहिए ।
हमारे आस पास कोई ऐसा व्यक्ति या परिवार भोजन चाहता हो तो उसे हम कम मूल्य पर भोजन बनाकर दे सकते हैं हम घर पर मास्क और सैनिटाइजर भी बना सकते हैं और चाहे तो न्यूनतम मूल्य पर मास्क और सैनिटाइजर दूसरों को दे भी सकते हैं ऐसे समय जब पुरुषों की आमदनी का कोई स्रोत नहीं है तब हम अपनी दक्षता से उनको संबल प्रदान कर सकते है अभी 31मई तक लॉक डाउन का समय हो सकता है और  कोरोना महामारी का नियंत्रण  ना हो  तो ये अवधि बढ़ भी सकती है इसलिये तब तक उचित मात्रा में ही धन का व्यय करें जरूरी हो तभी और लॉक डाउन  खुलने  के बाद फालतू की फिजूलखर्ची ना करें हमें सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए अपने परिवार को स्वस्थ रखना है  हम पहले जो ऑनलाइन खरीदी करते थे उसको नहीं करते हुए हमें देश के व्यापारी भाई से ही खरीददारी करना है अभी
कोरोना महामारी ने हमें अपने पराए की पहचान कराई है विदेशी कंपनियों ने हमारे देश को कोई मदद नहीं की है स्वदेशी कंपनियों ने हीं मदद की है यह ध्यान रखना चाहिए आप अपनी आय के स्रोत ऐसे  भी शुरू कर सकती हैं आप अपने कौशल को मोबाइल के माध्यम से शेयर करके पैसे कमा सकती है
सरकार भी अर्थव्यवस्था को संभालने में बहुत सी  योजनाये शुरु करेंगी हम भीअपनी खर्च को कम करने  के उपाय कर सकते है
3.हम अभी घर का खाना ही खा रहे हैं और गाड़ी का उपयोग भी नही कर रहे हम इस फिजूल खर्ची को भी रोक सकते है   हम अपने परिवार के  उत्सव आयोजन में भी खर्च की संख्या निर्धारित निर्धारित कर सकते है
4.अभी लॉक डाउन के कारण  मृत्युभोज भी बंद हो गए हैं अगर यह हमेशा के लिए बंद हो जाए तो यह फिजूलखर्ची रुक सकती है हमारे समाज में होने वाली शादियों में भी पकवानों की संख्या निर्धारित हो जाए जाए जाए और एक सीमा तक खर्च निर्धारित हो तो इस पर भी फिजूलखर्ची भी फिजूलखर्ची रुक सकती है और  भी  ऐसे रिवाज जिसमें दिखावा होता है और जिसमें फिजूलखर्ची होती वह बंद हो जाना चाहिए ।
5.एक खास बात पहले के समय में हमारे बड़े अपना काम खुद ही करते थे आजकल सभी घरों में कामवाली आती है अभी लॉक डाउन के समय भी तो हम अपना काम खुद कर रहे है फिर हमेशा क्यों नही ये भी हमारी बचत का हिस्सा होगा
हाँ अगर आप जॉब करती है तो ठीक है पर हम अपना काम स्वयं करेंगे तो स्वस्थ भी रहेंगे ।
       जय महेश
        संगीता दरक माहेश्वरी
          सर्वाधिकार सुरक्षित
        
         

घर से निकला .....

दो वक्त की रोटी कमाने हम कितनी दूर निकल आये,,,,,,

घर से निकला था,,,,,,,,
🏚️घर से निकला था
बहुत सारा वक्त लेकर
पर लगता हैं
सब खर्च हो गया
हो सके तो
माँ थोड़ा वक्त और भिजवा देना
दो वक्त की रोटी,और थोड़ी सी ख्वाहिशे निकला था कमाने, क्या पता था सबकुछ गँवा बैठूँगा!!!
               ✍️संगीता दरक माहेश्वरी
                         सर्वाधिकार सुरक्षित
    

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

  होलिका दहन आज उठाती है सवाल! होलिका अपने दहन पर,  कीजिए थोड़ा  चिन्तन-मनन दहन पर।  कितनी बुराइयों को समेट  हर बार जल जाती, न जाने फिर ...