हम हर रोज कितनों से मिलते है लेकिन कोई ऐसा मिलता है जो सबसे अलग होता है ........
यूँ तो अक्सर.........
यूँ तो अक़्सर मिलते हैं ,
बहुत से लोग इस जहाँ में।
मग़र कोई मिलता नहीं ,मुझसे
जैसे तुम मिलते हो।
दिन ढलता है, पलक झपकते
रात गुज़र जाती है,
और तुम शाम की तरह बस
एहसास में रह जाते हो।
मेरी हर बात, हर चुप्पी में
तुम ही तुम होते हो ।
मग़र शब्दों के बादलों में
चाँद की जैसे छुप जाया करते हो।
किसी नज़ारे में कोई बात
नहीं होती,
हर बात बेबात,
जब कभी... जहाँ कहीं... तुम मेरे इर्दगिर्द होते हो।।।।
संगीता दरक
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