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सृष्टि सृजन को है तैयार the world is ready to be created


Hello दोस्तों  अभी बरसात का मौसम है और इसी मौसम में प्रकृति सृजन या निर्माण करती है बारिश धरती माँ को भिगोती है 

और मिट्टी में बीज  समाकर सृजन करते है आनंद लीजिये मेरे शब्दों के साथ 

     सृष्टि सृजन को है तैयार

सृष्टि सृजन  को है तैयार,
मेघ बरसे मिट्टी को भिगोकर ,हुए आनंदित
बीज मिट्टी की गोद में समाया,
सूरज की किरणों ने आकर
उसको जगाया।
आती जाती धूप सहलाती,
नन्हा बीज मिट्टी से झाँकता ।
उतावला बाहरी दुनिया को
देखने को ।
अंजान है बाहर के मौसम से,
हवा के थपेड़ों से और हम
इंसानों के प्रहारों से ।
अनुकूल प्रतिकूल मौसम को सहता
देखो वो नन्हा बीज,
पौधा और फिर पेड़ बन गया !
फल -फूल छाँव और जीवन
हर रोज हमको  देता ।
और अपने जीवन को सार्थक करता!!
               ✍️संगीता दरक
              सर्वाधिकार सुरक्षित
                   
       .

हर एक दिन माँ के नाम हो,every day mother's name,Maa,

    
               माँ
"माँ " इस शब्द में पूरी सृष्टि समाई हुई है
क्या एक ही दिन माँ को याद करने का होता है  या बिना माँ को  याद किये कोई दिन गुजरे ही नही  ऐसा होता है
जब हम छोटे रहते तो माँ का चेहरा हमारे लिए खास होता है जब बचपन में हम चलना सीखते तो माँ का हाथ उनकी बाहों का हमे जो सहारा मिलता वो किसी जन्न्त से कम नही होता
जैसे जैसे हम बड़े होते हम माँ से दूर होते जाते हम भूल जाते की जिस माँ से हमने जीना  सीखा  हमे लगता है कि हम माँ से ज्यादा समझते हैं
जिस माँ की गोद में जाने के लिये
हम तड़पते है उस माँ के लिये
अब हमारे पास वो तड़प और
वक्त है ही नहीं माँ से बात करने
का उसके पास बैठने का
हमारे पास समय नही
सब अपनी जिंदगी में व्यस्त है माँ बाप को आज भी हमारी फ़िक्र है लेकिन हमें अपने आप से फुर्सत नही
मैं ये भी नही कहती की सब  ऐसे होते हैं लेकिन जो ऐसे है उनको तो समझना होगा
वो आँखे जिनमे कभी  तुम्हारे सपनो की चमक हुआ करती थीं अब धुंधला गई है उनको तुम्हारी परवाह ( नजरो )की जरूरत है
आज भी उनकी धड़कनों को रफ्तार मिल जाती है जब तुम खुश होते हो
अभी भी वक्त है वरना कांधे पर रखकर जब छोड़ने उनको (माँ-पिता )जाओगे तो बड़ा पछताओगे ।लेकिन तब बहुत देर हो चुकी होगी इस दुनिया में सब मिलते एक माँ और पिता का रिश्ता है जो दुबारा नही मिलता
माँ जो कई रिश्तों से गुजरते हुए "माँ" के मुकाम पर ठहर जाती है एक स्त्री जब माँ बनती है तब उसे पूरी कायनात मिल जाती है उसका जीवन पूर्ण हो जाता है
माँ क्या नही बनती हमारे लिये जीवन भर हमारी ढाल बनती माँ आपको नमन है
       संगीता  माहेश्वरी दरक
              सर्वाधिकार सुरक्षित
    

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