आज फिर पुराने ख्वाबो को मैं
सिरहाने रखकर सो गई,
नये ख्वाबो की तलाश में
आज फिर सुबह हो गई!
संगीता दरक©
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏

आज फिर पुराने ख्वाबो को मैं
सिरहाने रखकर सो गई,
नये ख्वाबो की तलाश में
आज फिर सुबह हो गई!
संगीता दरक©
https://youtube.com/shorts/UpRwcB-9Oqw?si=k9V1nOBIUOVCqvBm आज का कड़वा सच सुनिए और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे