काँटो को भी चमन चाहिए
रहने को फूलों के पास
थोड़ी सी जगह चाहिए
खुशबू ना मिले ना सही
थोड़ी सी चुभन तो चाहिए
बहारें हमें भी छुए
पतझड़ बनकर ही सही
जिंदगी हमें भी मिले
चाहे फूलों के तले ही सही
संगीता दरक©
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
काँटो को भी चमन चाहिए
रहने को फूलों के पास
थोड़ी सी जगह चाहिए
खुशबू ना मिले ना सही
थोड़ी सी चुभन तो चाहिए
बहारें हमें भी छुए
पतझड़ बनकर ही सही
जिंदगी हमें भी मिले
चाहे फूलों के तले ही सही
संगीता दरक©
नये साल में फिर
नये साल में फिर ,मुलाकात होगी।
फिर दिल से दिल की बात होगी।
कुछ यादे, कुछ फ़साने,
कुछ हमारे कुछ तुम्हारे।
नयी आशाओं के दीप जलेंगे,
उम्मीदों के फूल खिलेंगे।
फिर नई कोई बात होगी,
नये साल में फिर मुलाकात होगी ।
फिर साँझ ढलेगी सुप्रभात होगी,
आँगन में फूलों की महक होगी,
नये साल में फिर मुलाकात होगी।
संगीता दरक माहेश्वरी
सर्वाधिकार सुरक्षित
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