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जैसे खाली पन्ने, blank pages

      जिंदगी जैसे खाली पन्ने
लफ्जो से पूछो कोई,
क्या कुछ सहा है
कभी ख़ामोशी से ,तो कभी चीखों से
सब्र से कभी तो बेसब्री से
मतलब से कभी बेमतलब होने लगे
आजकल बड़े खामोश रहते है
लफ्ज किसी से कुछ कहते नही है,
और बस में किसी के रहते नही
अहसासों की कमी सी हो गई है,
जिंदगी खाली पन्ने सी हो गई है।
                     संगीता दरक
              सर्वाधिकार सुरक्षित

खामोश दीवारें ,silent walls, khamosh divare

खामोश दीवारें......
खामोश दीवारें कब बोलेंगी
चार दीवारी का भेद कब खोलेंगी
क्या दीवारों के सिर्फ कान होते हैं
होती नही आँखें
क्यों ये मूक होकर देखती रहती हैं
सिसकियों और चीखों को सुनती हैं बस
अपने पहलू में क्या कुछ होने देती हैं
छत को बचाने के लिए नही
बोलती ये दीवारें
रिसता पानी दीवारों से कुछ बयां तो करता है
पर खुलकर कुछ नही बताती ये दीवारें खामोश खड़ी ये दीवारें
और जब साहस करके कुछ बोलती हैं तो टूट कर बिखर जाती हैं ये दीवारें
         संगीता माहेश्वरी
        सर्वाधिकार सुरक्षित

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

  होलिका दहन आज उठाती है सवाल! होलिका अपने दहन पर,  कीजिए थोड़ा  चिन्तन-मनन दहन पर।  कितनी बुराइयों को समेट  हर बार जल जाती, न जाने फिर ...