मतलब के रिश्तों में,
बेमतलब उलझने लगे।
परायों की भीड़ में,
हम अपनों को ढूंढने लगे।
चंद रोज की है जिंदगी,
और इसे हम अपना समझने लगे।
ख़्वाहिशें अपनी भूलकर,
सींचे जिनके सपने,
बदल गए वो ,
ना रहे अब अपने।
संगीता दरक
सर्वाधिकार सुरक्षित
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
Showing posts with label परायों की भीड़. Show all posts
Showing posts with label परायों की भीड़. Show all posts
मतलब के रिश्तों में,matlab k rishto m,
Subscribe to:
Posts (Atom)
होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #
होलिका दहन आज उठाती है सवाल! होलिका अपने दहन पर, कीजिए थोड़ा चिन्तन-मनन दहन पर। कितनी बुराइयों को समेट हर बार जल जाती, न जाने फिर ...
-
जय महेश विषय :-बढ़ती उम्र विवाह से जुड़ी समस्याएं व निदान इस पर मेरे विचार समाज में सदा सन्तुलन यथावत रखेंगे। बच्चों का विवाह युक्त समय पर कर...
-
बढ़ते सम्बन्ध विच्छेद कारण और निवारण सम्बन्ध अर्थात एक साथ बँधना या जुड़ना किसी से जुड़ना मन में उत्साह भर देता है और उसी से जब विच्छेद होत...