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मतलब के रिश्तों में,matlab k rishto m,

मतलब के रिश्तों में,
बेमतलब उलझने लगे।
परायों की भीड़ में,
हम अपनों को ढूंढने लगे।
चंद रोज की है जिंदगी,
और इसे हम अपना समझने लगे।
ख़्वाहिशें अपनी भूलकर,
सींचे जिनके सपने,
बदल गए वो ,
ना रहे अब  अपने।
                      संगीता दरक
               सर्वाधिकार सुरक्षित

बूढ़े माता पिता

 https://youtube.com/shorts/UpRwcB-9Oqw?si=k9V1nOBIUOVCqvBm आज का कड़वा सच  सुनिए और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे