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#उम्मीद की हो चार दीवारें,#four walls of hope

सपनो का घर, ख्वाहिशो का स्वर्ग से सुंदर घर और भी न जाने क्या क्या उपमा हम देते है और सोचते है, पढ़िये मेरी रचना में अपने उम्मीद की चार दीवारें

   उम्मीद की हो चार दीवारें

उम्मीद की हो चार दीवारें ,
ख्वाहिशों की हो छत   
खुशियों का हो दरवाजा जिसमें ,
 सपनों की हो खिड़क़ी

यादों का रंग रोगन हो दीवारों पर,
फर्श पर बिछी हो कालीन
तेरी मेरी बातों की
गम के लम्हों में मुस्कुराहटों के
लगे हो जहाँ पर्दे
                             
  चैन सुकून बसता हो जहाँ ,
अपनों का प्यार बिखरा
हो वहाँ   
                
आओ ऐसा आशियाना बनाए
आओ ऐसा आशियाना बनाए!
          संगीता माहेश्वरी दरक
          सर्वाधिकार  सुरक्षित

खामोश दीवारें ,silent walls, khamosh divare

खामोश दीवारें......
खामोश दीवारें कब बोलेंगी
चार दीवारी का भेद कब खोलेंगी
क्या दीवारों के सिर्फ कान होते हैं
होती नही आँखें
क्यों ये मूक होकर देखती रहती हैं
सिसकियों और चीखों को सुनती हैं बस
अपने पहलू में क्या कुछ होने देती हैं
छत को बचाने के लिए नही
बोलती ये दीवारें
रिसता पानी दीवारों से कुछ बयां तो करता है
पर खुलकर कुछ नही बताती ये दीवारें खामोश खड़ी ये दीवारें
और जब साहस करके कुछ बोलती हैं तो टूट कर बिखर जाती हैं ये दीवारें
         संगीता माहेश्वरी
        सर्वाधिकार सुरक्षित

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

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