Showing posts with label आज फिर. Show all posts
Showing posts with label आज फिर. Show all posts

पुराने ख़्वाब ,Dreams

 

आज फिर पुराने ख्वाबो को मैं 

सिरहाने रखकर सो गई,

नये ख्वाबो की तलाश में 

आज फिर सुबह हो गई!

                        संगीता दरक©

बन बैठा हर कोई :हिन्दीकविता:#kavi#kaivita #shorts

 शॉल श्री फल और सम्मान मिलना हुआ कितना आसान बन बैठा हर कोई कवि  यहाँ कविताओं की जैसे लगाई दुकान         संगीता दरक माहेश्वरी