मैं अक्षर✍️
और अक्षर से बना शब्द।
शब्दो से तुक मिले तो बने जीवन की कविता,
और शब्दों के ताने बाने से बुनी ये कहानियां
जीवन की कहानी या कहानी के आसपास जीवन,
कहानी मन को सुहाती जब सुखद होता उसका परिणाम।
और दुःखद अंत होता जो हो मन उदास उठते सो सवाल ।
कहानी कागज पर हो, और कलम करती हो फैसला।
तो देते मोड़ अपने हिसाब से, और जो हो जीवन की कहानी तो उस ईश्वर के हाथ हमारी कहानी की कलम
और भाग्य का कागज जो होता तकदीर में लिख देता वो।
कहानी दिखाती है जीवन को आईना बिन बोले बहुत कुछ कह जाती ।
कहानी के पात्र हमारे जेहन मे घुमते,
और कभी हम उन पात्रों में खो जाते।
कहानियां नये मोड़ देती जीवन को ताजगी से भर देती।
कहानियां कल्पना की धरा पर सजती सँवरती और कभी भटके हुए को राह दिखाती तो कभी उदास चेहरों पर मुस्कान बिखेर जाती
बुलन्दी को छूने वाले और महान लोगो की कहानियां करती हमे प्रेरित उंचाइयों को छूने को ।
कहानियां का सफर बंद किताबो और लाइब्रेरी, तक था लेकिन आज मोबाइल लेपटॉप की स्क्रीन पर आकर ये ठहरा है
बहुत सारे मन पर आज भी कहानियों का पहरा है।
इन कहानियों को कभी सच्चे शब्दों में तो कभी काल्पनिक शब्दों में गढ़ा जाता ।
सच में ये कहानियां साँसे लेती है जीती है
अनंत समय तक ..........
✍️संगीता दरक
सर्वाधिकार सुरक्षित
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
मैं अक्षर, letter i ,M akasher
भूल गए हम.....Bhul gay hum , we forgot .
दोस्तों नमस्कार , आपको कितना याद है और कितना भूल गए आपने जो बचपन जिया क्या अभी की पीढ़ी वैसा बचपन जी रही है ।शायद नही ,इसी विषय पर मेरी रचना पढिये और् अपने पुराने दिनों को याद करिये और सोचियेगा की क्या "भूल गए हम"
भूल गए हम........
पहले भी दो रोटी का जुगाड़ वो करते थे ,पर हमसे बेहतर वो जीते थे।
जीने की जद्दोजहद में, हम जीने के अंदाज भूल गए ।
ख्वाहिशों के पीछे,भागते- भागते
रिश्तों के साथ सुस्ताना भूल गए ।
वो खुली छत पर आसमान को निहारना और तारों को गिनना,
गिनने की गिनती हम भूल गए ।
ना रूठना याद रहा ना मनाना
सोशल मीडिया के चक्कर में ,अपनों
की खुशियों को भूलना हम भूल गए।
छुपम छुपाई,राजा मंत्री चोर सिपाही
पकड़ा और पकड़ी (पुराने खेल)
मोबाइल के गेम के चक्कर में सारे
खेल खेलना हम भूल गए।
समर कैंप और छुट्टियों में भी
क्लासेस इन क्लासेस के चक्कर में,
नाना-नानी के घर की मौज
हम भूल गए ।
बना लिए बड़े-बड़े मकान और
खुशियाँ
जहाँ की खरीद ली
बस मकान को घर बनाना,
और थोड़ा सा मुस्कुराना हम भूल गए ।
बस थोड़ा सा मुस्कुराना हम भूल गए।
समय और नई सोच के चक्कर में हम परिवार को आगे बढ़ाना भूल गए ।
आने वाली पीढ़ी को मामा और बुआ के रिश्तो में बाँधना हम भूल गए ।
दिया सबको सब कुछ बस थोड़ा सा
वक्त देना हम भूल गए।
याद रहा जीना हमको बस जीने का
अंदाज हम भूल गये।।
संगीता दरक
सर्वाधिकार सुरक्षित
#आयो जमानो कैसो,# change# #naya jamana
नयी पीढ़ी में आये बदलाव को पढ़िए,मेरी मालवी भाषा की कविता में और आनन्द लीजिये
"आयो जमानो कैसो "
आयो जमानो कैसो यो नी पेला जैसो
मोबाइल से मैसेज भेजे,
इंटरनेट से करे चेटिंग ,
माँ बाप से पेला हो जावे सेटिंग! !
छोरा-छोरी में फर्क नहीं पेला जैसो,
छोरिया ले जावे बराता,ने छोरा वारा मुंडो ताके ।
हाथ जोड़कर स्वागत करें वाको आयो जमानो कैसो यो नी पेला जैसो
(आजकल के बच्चे ,युवा)
सुबह को सूरज तकिया में छुप गयो,
ने ताजी हवा ने A.C. निगल गयो ।
पैदल तो ई चाले कोनी,
बाईक बिना हाले कोनी ।
आयो जमानो कैसो,
यो नी पेला जैसो।
आजकल का टाबरा (बच्चे) ने नी भावे रोटी साग ,
ई तो खावे बर्गर पिज्जा और हॉट डॉग !
परिवार ने टाइम ई नी देवे ,
टी वी ,मोबाइल को ज़ीव ले वे !!
(आजकल की बहुए)
अक्षरा सी (सीरियल की बहू) रेवे ,
ने बात- बात में हाईपर हो जावे ।
कमर में राखे मोबाइल जाणै के तलवार !
पेला तो ई छोटो परिवार चावै,
पेला तो ई छोटो परिवार चावै
ने फेर मामा भुवा कठे से लावे
आयो जमांनो कैसो यो नी पेला जैसो
आयो जमानो कैसो यो नी पेला जैसो
संगीता दरक माहेश्वरी
सर्वाधिकार सुरक्षित
होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #
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