मन सब कुछ बर्दाश्त करता है लेकिन कभी कभी बोल पड़ता है
दोस्तों आपके साथ भी ऐसा होता होगा पढ़िये और कमेंट जरूर कीजिये
"मन"
मन को आज बड़ा समझाया
की मान जा तू जिद ना कर
हर बार की तरह तू ही मेरी सुन
कहने लगा मन हर बार
मुझे ही क्यों झुकना पड़ता है
हर बार मुझे ही क्यों मरना पड़ता है
कभी तो मेरे मन की मुझे करने दो
हर बात मन की मन में रह जाती है
यही कसक मन को दुखाती है
संगीता दरक माहेश्वरी
सर्वाधिकार सुरक्षित
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
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मन ,mind , ego,
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