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मेरा जन्मदिन,my Birthday

  मेरा जन्मदिन 24 जून को था उस दिन मेरे मन में जो भाव विचारो का रूप लिये उमड़ रहे थे मैने उन् शब्द को स्वरूप दिया 

और आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूँ

आप सबके स्नेह के लिये सदा आभारी रहूँगी


 जन्मदिन मेरा.......

सोचती हूँ आज

जन्मदिन मेरा ,कैसे मनाऊँ

बच्चो के जैसे इठलाऊँ,या 

एक साल उम्र बढ़ने की जिम्मेदारी निभाऊँ

बीते वर्षो में क्या खोया क्या पाया 

इसका हिसाब लगाऊँ

वर्तमान पर रखू नजर या 

भविष्य  को बेहतर बनाऊँ

अपनो ने दिया अपार स्नेह उस पर 

इतराऊँ

या किसी की नाराजगी से  दुःखी हो जाऊँ

अधूरी ख़्वाहिशों को देखू या 

पुरे अरमानों की ख़ुशी मनाऊँ

सोचती हूँ इन सबसे

सोचती हूँ इन सबसे, परे हो जाऊँ

और करू शुक्रिया ईश्वर और माता पिता का

  कर्म पथ पर अपने  आगे  बढ़ती जाऊँ

कर्म पथ पर अपने आगे बढ़ती जाऊँ।।

 

                 संगीता माहेश्वरी ©

रक्तदान दिवस 14 June World Blood Donor Day

आज बड़ा ही महत्वपूर्ण दिवस है रक्तदान दिवस जी हाँ ये दान भी सभी दान से बढ़कर होता है पर कुछ लोग रक्त का मतलब नही समझते और व्यर्थ में एक दूसरे का रक्त बहाते है वो ये नही जानते है कि रक्त का रंग सब में एक जैसा है और वो सबकी रगो में बहता है । मेरी ये चंद लाइनें भी यही कहने का प्रयास कर् रही है 



 ये रक्त पड़ा जो धरा पर 
 ये रक्त पड़ा जो धरा पर
 तू ले जो पहचान
 कर फिर मलाल 
 जो तेरा हो 
 और मना फिर खुशियाँ
जो और किसी का हो 
बस तू ले पहचान
 बस ले तू पहचान जो रक्त पड़ा धरा पर

#माँ तू ऐसी क्यों है?, #mother why are you like this , #Maa tu aesi kyu h


माँ तू ऐसी क्यों हैं ?

बचपन में जितनी परवाह थी, आज भी वो बरकरार क्यों हैं।
निकल गए हम उम्र की आपाधापी में कितना आगे,
तू आज भी वहीं रुकी क्यों हैं...
माँ तू ऐसी क्यों हैं ?

मैं रिश्तों में उलझ गया,
तेरी पसंद नापसंद को भूल गया,
पर याद तुझे आज भी
मेरी हर बात क्यों हैं...
माँ तू ऐसी क्यों हैं?

छत तेरी हो न हो, बनती हर
मुसीबत में तुम दीवार
समेटकर सारी खुशियाँ
तू हम पर देती वार
ये छत और दीवार सी क्यों है......
माँ तू ऐसी क्यों हैं?

बहू के ताने सुनकर भी देती उसको दुआएं,
बेटे की फिर ले लेती सारी बलाएं
जिसके इंतजार में तूने सही
कितनी पीड़ा
आज उस बेटे से कहती कुछ
क्यों नही है...
माँ तू ऐसी क्यों हैं?

भूल जाएं खुशियों में हम तुझे
लेकिन दर्द से मेरे आज भी
तेरा नाता है,
आह निकलने से पहले जुबाँ पर माँ तेरा ही नाम आता है।
मोम सा हृदय तेरा पाषाण सी सहनशीलता क्यों है
मोम सा ह्रदय तेरा पाषाण सी सहनशीलता क्यों है.......
माँ तू ऐसी क्यों हैं?

बेटे हो भले ही चार
माँ की ममता सबके हिस्से आती,
एक माँ तू है जो किसी के हिस्से में नहीं आती।
एक होकर चारों में बंट जाती क्यों है
माँ तू ऐसी क्यों हैं?

बता माँ, तू ऐसी क्यों हैं?

- संगीता दरक
  सर्वाधिकार सुरक्षित

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

  होलिका दहन आज उठाती है सवाल! होलिका अपने दहन पर,  कीजिए थोड़ा  चिन्तन-मनन दहन पर।  कितनी बुराइयों को समेट  हर बार जल जाती, न जाने फिर ...