आसान नही होता, wouldn't be easy ,aasan nhi hota

Hello दोस्तों,
जीवन में क्या सब आसान होता है,कितना कुछ सहेजना और छोड़ना पड़ता है ,यहाँ कुछ भी आसान नही है ,
पढ़िये मेरी रचना
आसान नही होता

आसान नहीं होता
आसान नहीं होता
बिखरते पलों को समेटना
और,
नये लम्हों को सजाना,
अनकही बातों को यूँ संभालना,
कहाँ आसान होता है।
ज़िंदगी के शोर में ,
‌ख्वाहिशों की चुप्पी को सुनना,
कहाँ आसान होता है।
हर बार अपने आप से मिलना,
मिलकर भी अनदेखा करना ,
कहाँ आसान होता है।
रिश्तों को निभाना और
अपनी खुशी को बयां करना,
कहाँ आसान होता है।
हर बार जीना और
जीने के लिये मरना ,
कहाँ आसान होता है...।।

            संगीता दरक
           सर्वाधिकार सुरक्षित

मेरा हिसाब,mera hisab,my account

मेरा हिसाब,,,,,,,,,
👨साल का आखिरी महीना आज सबके हिसाब करके नये साल से नयी शुरुआत करनी होगी
........और मेरा हिसाब👩
बेटी बहन ,पत्नी बहु और माँ कितने ही किरदारों में,. मैं सिमटी
हर किरदार  को बखुबी निभाती
इन सब में अपने आप को भी
भूल जाती ।
बेटी बनती तो भाई नाराज और
बहन बनती तो भाभी नाराज हरेक को मुझसे अपेक्षाएं।
पत्नी और बहू के किरदार में तालमेल कभी सास की ख़ुशी तो कभी पति की इच्छाओं का सम्मान,
बच्चो के लिये कभी ढाल बनती तो,
कभी बन जाती बिना डिग्री लिये बेमिसाल वकील ,जो हर दलील में खुद को ही गवाह और मुजरिम भी मानती।
कभी सोचती हूँ, ईश्वर ने नारी को ऐसे रचा जो हर साँचे में फिट बैठता है।
ढेरों किरदार हर रोज निभाती ना कोई पगार ना छुट्टी और ना इंनक्रीमेन्ट की झंझट।
कभी मायके तो  कभी ससुराल में,
मैं हरदम सामंजस्य के पूल बनाती
और अपने सफर को आसान
बनाने की कोशिश में लगी रहती ।
मायके में रहती तो जी जान लुटाती पर उस घर को अपना न कह पाती।
और कभी जो अपना हक मांग
लिया तो,
सबकी नजरो में गलत ठहराई जाती।
और ससुराल के घर को वो सर्वस्य सौंपकर भी अपना  नही जता सकती कहने को वो हाउस वाइफ होती है पर बात जब कभी आत्मसम्म्मान की आती, और बात अलगाव पर पहुँचती तो उसे अहसास होता की वास्तव में उसका घर है कहाँ।
जमीं का टुकड़ा ,कीमत चुकाकर खरीदो और पैसों के बल पर मकान बना लो
पर उसको घर स्त्री ही बना सकती है
जी हाँ आज भी ऐसे घर जहाँ गृहलक्ष्मी
का वास नही वहाँ सुकूँन नहीं।
इसलिये कभी हमारा भी आकलन कर लिया करो
आपके हिसाब के एक हिस्से में हमसे ही आपका पलड़ा भारी है
"माना कि पुरुष के पीछे नारी चलती है पर संसार नारी के बिना नही चलता"
                संगीता दरक©

#यूँ तो अक्सर, #yes so often , #yu to akser

   हम हर रोज कितनों से मिलते है लेकिन कोई ऐसा मिलता है जो सबसे अलग होता है ........

यूँ तो अक्सर.........
यूँ तो अक़्सर मिलते हैं ,
बहुत से लोग इस जहाँ में।
मग़र कोई मिलता नहीं ,मुझसे
जैसे तुम मिलते हो।
दिन ढलता है, पलक झपकते
रात गुज़र जाती है,
और तुम शाम की तरह बस
एहसास में रह जाते हो।
मेरी हर बात, हर चुप्पी में
तुम ही तुम होते हो ।
मग़र शब्दों के बादलों  में
चाँद की जैसे छुप जाया करते हो।
किसी नज़ारे में कोई बात
नहीं होती,
हर बात बेबात,
जब कभी... जहाँ कहीं... तुम मेरे इर्दगिर्द होते हो।।।।
            संगीता दरक
          सर्वाधिकार सुरक्षित

पुरुष, Male, purush

.                   ।। पुरुष।।
ये पुरुष, जैसे विशाल समंदर का आगाज़
अनंत  गहराई   उसमें  छिपे  राज़
छत मेरी,सर पे उसके 

जिम्मेदारियों का ताज
भावनाओं के किनारों में, 

ये कभी बंधता नहीं
कभी शांत, कभी उफ़ना के, 

शांत रहता नहीं
वोअपनी बात,कभी किसी से 

कहता भी नही,
रिश्तों में बंधा हुआ बेटा,भाई पति,व पिता
सबके सपनों को सदा 

अपनी आँखों में बुनता
हमेशा अपने चेहरे पर, 

मुसकान से खिलता,
विषम परिस्तिथियों में जैसे 

मजबूत कांधा हो ,
प्रकृति ने इसे जैसे अति 

कठोरता से सँवारा हो ।
बचपने से बुढ़ापा मज़बूती से 

उसे निखारा हो ।
अपनी भावनाओ को वो,

बाखूबी से छिपाता है ,
बेटी,बहन,पत्नी,माँ के 

लिये खुशियाँ लाता है
इच्छाऐं  बेच कर,वो सपने सबके ख़रीदता है
     हाँ ये पुरुष समंदर सा होता है ......
               ✍️संगीता दरक
             सर्वाधिकार सुरक्षित

#तुम और यादे , #you and memories#


        "तुम और गुलाब "

तेरी यादों से भरी यह किताब,
   उस पर यह गुलाब ।
क्या कहूँ, तेरी हर बात बेहिसाब। अनगिनत लम्हें,जो भुलाए नहीं भूलते यादों में आज भी हम मिलते,
खुशियों के फूल हैं खिलते।
बस उस रोज का वह गुलाब ,
और तेरा वह जवाब,
है मेरे लिए नायाब ।
आज भी दिल के कोने में
उसकी खुशबू का पहरा है।
तेरी मेरी यादों का रिश्ता
आज भी  गहरा है ।
तुम ,गुलाब और यादों की किताब
   ❣️❣️✍️संगीता दरक
            सर्वाधिकार सुरक्षित

स्वाभिमान मेरा भी👩,my self respect

    स्वाभिमान मेरा भी.....
आज एक सीरियल में इन शब्दों को सुनकर मेँ सोचती रह गई..........
"स्त्री का स्वाभिमान उसकी जिद और पुरुष की जिद उसका स्वाभिमान"

वाकई ये शब्द हरेक स्त्री के जेहन में
होते है, बस हर कोई कह नही पाता।
अपने आप को महत्व देना,
कोई कम बात नही होती।
कहने को कितना कुछ बदला है,
पर आज भी स्वाभिमान और जिद,
और जिद और स्वाभिमान के बीच
का फासला  कम नही हुआ ।
आज भी पुरुष का अहंकार ज्यों का त्यों है और स्त्री का समर्पण आज भी बरकरार है ।
स्त्री को रिश्तों को निभाने की दुहाई दी जाती है,और संस्कारों की दीवार खड़ी कर दी जाती है ।
पति पत्नी के रिश्तों में तनातनी हो या रिश्ता टूटने की कगार पर हो तो सबसे ज्यादा गलती पत्नी की ही निकाली जाती है ,अभिप्रायः यह है कि समर्पण स्त्री के हिस्से ही आया है। त्रेता युग में सीता जी ने त्याग किया और आज भी स्त्रियों से त्याग की अपेक्षा की जाती है,
और उनको खरा उतरना भी  पड़ता है अपने को सही साबित करने के लिये करना पड़ता है।
मैं यह भी नही कहती की समय परिवर्तन नही हुआ पर सोच वही है।
ना में रिश्तों को तोड़ने के पैरवी कर रही हूँ ,मैं तो बस मन को समझने और स्वाभिमान को बरकरार रखने की पक्ष में हूँ,।
आपकी जिद का सम्मान होता है ,
तो हमारे स्वाभिमान की कद्र भी होनी चाहिए। और ये अपेक्षा मायके और ससुराल दोनों पक्षों के हरेक रिश्ते से रहती है।
रिश्तों की डोर की पहली और दूसरी
दोनों छोर की और नारी ही होती है
और रिश्ता बरकरार रखने में
नारी की ही भूमिका महत्वपूर्ण होती है ।फिर हर बार उसको समझने में ही कमी क्यों है सोचियेगा जरूर✍️
                       संगीता दरक©

मतलब के रिश्तों में,matlab k rishto m,

मतलब के रिश्तों में,
बेमतलब उलझने लगे।
परायों की भीड़ में,
हम अपनों को ढूंढने लगे।
चंद रोज की है जिंदगी,
और इसे हम अपना समझने लगे।
ख़्वाहिशें अपनी भूलकर,
सींचे जिनके सपने,
बदल गए वो ,
ना रहे अब  अपने।
                      संगीता दरक
               सर्वाधिकार सुरक्षित

मैं अक्षर, letter i ,M akasher


मैं अक्षर✍️
और अक्षर से बना शब्द।
शब्दो से तुक मिले तो बने जीवन की कविता,
और शब्दों के ताने बाने से बुनी ये कहानियां
जीवन की कहानी या कहानी के आसपास जीवन,
कहानी मन को सुहाती जब सुखद होता उसका परिणाम।
और दुःखद अंत  होता जो हो मन उदास उठते सो सवाल ।
कहानी कागज पर हो, और कलम करती हो फैसला।
तो देते मोड़ अपने हिसाब से, और जो हो जीवन की कहानी  तो उस ईश्वर के हाथ हमारी कहानी की कलम
और भाग्य का कागज जो होता तकदीर में लिख देता वो।
कहानी दिखाती है जीवन को आईना  बिन बोले बहुत कुछ कह जाती ।
कहानी के पात्र हमारे जेहन मे घुमते,
और कभी हम उन पात्रों में खो जाते।
कहानियां नये मोड़ देती जीवन को ताजगी से भर देती।
कहानियां कल्पना की धरा पर सजती सँवरती और  कभी भटके हुए को राह दिखाती तो कभी उदास चेहरों पर मुस्कान बिखेर जाती
बुलन्दी को छूने वाले और महान लोगो की कहानियां करती हमे प्रेरित उंचाइयों को छूने को  ।
कहानियां का सफर बंद किताबो और लाइब्रेरी,  तक था लेकिन आज मोबाइल लेपटॉप की स्क्रीन पर आकर ये ठहरा है
बहुत सारे मन पर आज भी कहानियों का पहरा है।
इन कहानियों को कभी सच्चे शब्दों में तो कभी काल्पनिक शब्दों में गढ़ा जाता ।
सच में ये कहानियां साँसे लेती है जीती है
अनंत समय तक ..........
                          ✍️संगीता दरक
                         सर्वाधिकार सुरक्षित

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

  होलिका दहन आज उठाती है सवाल! होलिका अपने दहन पर,  कीजिए थोड़ा  चिन्तन-मनन दहन पर।  कितनी बुराइयों को समेट  हर बार जल जाती, न जाने फिर ...