खोखले रिश्ते

 खूब की कोशिश हमने निभाने की

चालाकिया समझ न आई हमे जमाने की
रिश्तों के नाम पर  मन बहुत हर्षाया
मन को बहुत बार ये कहकर समझाया था
पर मन अब ये समझने लगा है
खोखले रिश्तो में अब बचा क्या है
             संगीता दरक©

बेटे का सौदा ,दहेज प्रथा ,Dowry system

            दहेज प्रथा  

         बेटे का सौदा
  वैसे तो मेरा बेटा लाखों में एक है
इसके हर काम में पैसों का जेक है
उसको पढ़ाया लिखाया
पैरों पर चलना सिखाया
सब जगह इसकी चर्चा है
अब आप ही सोच लीजिए, इसका कितना खर्चा है
महंगा है मगर चलाऊं है टिकाऊ है
फिर भी मैं नहीं कहती कि मेरा बेटा बिकाऊ है दहेज और शादी की बात तय हुई
बेटे की माँ बोली मेरी तो विजय हुई
                   संगीता दरक माहेश्वरी
                     सर्वाधिकार सुरक्षित









झाँसी की रानी

19 नवंबर को चमका एक सितारा था ।
गुलामी के अंधेरों का उजियारा था ।
नाम था जिसका मणिकर्णिका,
प्यार से कहते थे मनु ।
तेज तलवार सी धार कटारी थी ।
 साधारण सी पर सबसे निराली थी ।
बचपन भी जिसका निराला था ।
ना खेली गुड्डे गुड़ियों संग ,
खेली तो वह कटार बरछी कृपाण संग।
करती वह घुड़सवारी ओर बनाती व्यूह चक्र ,
शिवाजी की गाथाएं भी याद थी मुंह जबानी 
झांसी के राजा गंगाधर राव की बनी वह रानी ।
सुख के दिन बीते कुछ ही समय में ,कालचक्र ने कुछ ऐसा दौर चलाया ।
राजा समाए काल में रानी पर आई विपदा भारी ।
अंग्रेजों ने कर दी चढ़ाई की तैयारी,
रानी ने भी अंग्रेजो को धूल चटाने की कर ली तैयारी ।
"मैं अपनी झाँसी नहीं दूंगी" की ललकार से गूंज उठा आसमान
बांध कर बेटे को उतर गई मैदान ए जंग में ।
दोनों हाथों में ली तलवारे करने लगी संहार ,
अंग्रेजो की सेना में मच गया हाहाकार।
क्या खूब कहा सुभद्रा जी ने 
"खूब लड़ी मर्दानी वो झाँसी वाली रानी थी झाँसी वाली रानी थी"
लड़ते लड़ते जब हार गई, जीवित हाथ न लगी फ़िरंगियों को ,
मंदिर के पूजारी ने  
इस ज्वाला को अग्नि के सुपर्द किया।
अनंत में एक तारा विलीन हो गया,
झाँसी ने अपनी रानी को खो दिया ।
बन सको तो तुम ऐसी साहसी वीरांगना बनना,
ओर कर सको तो 
देश के लिये प्राण न्यौछावर करना।।।।
        संगीता दरक माहेश्वरी
           सर्वाधिकार सुरक्षित

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

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