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ना जाने दौर ये कैसा आया,I don't know how it came , na jaane daur ye kaisa aaya

कोरोना काल में दिल में दर्द था तो कलम भी यही बंया करः रही

कैसी है ये अंतिम विदाई

ना जाने दौर ये कैसा आया,
ना अपनों का कांधा पाया,
ना तो कोई रस्म निभाई,
कैसी है ये अंतिम विदाई ।

जीवन के कुरुक्षेत्र में, कितने
किये प्रपंच
मृगतृष्णा में रहा दौड़ता ,
जीवन कसता तंज।
जोड़ा सब ,ना जुड़ा राम से,
कितना तू अज्ञान
ईश्वर सत्ता सर्व विदित है ,
मत कर तू अभिमान।

ना जाने दौर ये कैसा आया,
ना अपनों का कांधा पाया,
ना तो कोई रस्म निभाई,
कैसी है ये अंतिम विदाई...  🙏 
       ✍️संगीता दरक©

नारद जी और कोरोना ,korona ,

कोरोना महामारी से सभी परेशान हो गए मेरे मन में विचार आया की पृथ्वी पर जब कोरोना महामारी भयानक रूप में फैल रही है तो ईश्वर भी कुछ करः रहे होंगे बस ऐसा सोचते सोचते ये रचना बन गई आप भी मेरे साथ कल्पना की उड़ान भरिये और ईश्वर की अदालत में हम पृथ्वी वासियों का मुकदमा देखिये

एक दिन नारद जी का पृथ्वी भ्रमण
और कोरोना को देखना:-
पृथ्वी पर कोरोना की हाहाकार को देखकर ,
नारद जी ने चिंता जताई ।
और जाकर बात ब्रह्मा जी को बताई !!
सुनकर ब्रह्माजी ,ने सभी देवगणों
की सभा बुलाई।
सभा में नारद जी ने विस्तृत में
बात बताई !!
चीन नामक देश से आया
एक कीड़ा कोरोना,
पृथ्वी पर जिसने काफी उत्पात मचाया ।
पृथ्वी वासियों ने "लॉकडाउन" नामक शस्त्र से अपने आप को बचाया !
महीनों बंद रहे गाँव और शहर,
थमा नहीं फिर भी कोरोना
का कहर ।
प्रभु उपाय अब आप ही कुछ बताऐ
इतने में  बोले वरुण देवता - प्रभु मेरा जल शुद्ध हो गया,और
भागीरथी माँ गंगा पावन हो गई!!
पवन देव भी मुस्कुराये,
बिल्कुल प्रभु मैं भी
खुल कर जी रहा हूँ।
मानो अमृत पी रहा हूँ!!
इतना सुन पक्षीराज से भी
ना रहा गया बोले,
आसमाँ लगता है अब हमारा,
चारों ओर हमने अपने पंखों को पसारा!!
इतने में बोले महादेव ,
बढ़ गया पृथ्वी पर पाप अनाचार ।
करती है प्रकृति भी इन पर प्रहार,
रखना होगा मनुष्य को यह याद !!
मशीन बना मानव
कुछ पल के लिए रुक गया ।
धर्म और संस्कृति से जुड़ गया !!
बोले नारद जी मानव स्वभाव तो करता आया है भूल ,
प्रभु संकट से तो आप ही तारों
बोले ईश्वर ,बस कुछ दिन की है बात ,
रखना होगा थोड़ा धैर्य
और करनी होगी प्रकृति की सुरक्षा!!
फिर सब ठीक हो जाएगा यह कोरोना भी दुम दबाकर भाग जाएगा !!
                 संगीता दरक
              सर्वाधिकार सुरक्षित

रुकिये साहब..😷 rukiye sahab

रुकिये साहब.....😷
ये कोरोना है जनाब (साहब)
फर्क  किसी में नहीं करता
हाथ में दस्ताने मुहँ पर मास्क
और सेनेटाइज से ये डरता
सर्दी खाँसी और सांस लेने में 
यदि हो परेशानी
करोना बिलकुल आनाकानी
हो जाओ कोरोंटाइनऔर रखो सावधानी 
यूँ छुपने छिपाने से
कोरोना नही हारेगा
इसे इलाज से  ही ज़ीतना होगा

(डॉ और पुलिस की सेवा को मेरा नमन)
माना कि ये फर्ज है उनका
पर देश तुम्हारा भी तो है
बेटा वो भी किसी का होगा
राह उसकी भी कोई  देखता होगा
कैसी ये पूजा और  कैसी  इबादत
करता नही जो
इंसानियत की हिफाजत
रहो घर में यूँ सबकी
मुश्किलें ना बढ़ाओ
अपनी और अपनों की जान बचाओ
ये कोरोना है साहब
फर्क किसी में नहीं करता !
              संगीता दरक
            सर्वाधिकार सुरक्षित

ये दिन...........लॉक डाउन के

ये दिन...लॉक डाउन के
मार्च की 20 तारीख तक हमने ऐसा नही सोचा था कि हम ऐसे ठहर जायेंगे ।बच्चो की परीक्षा चल रही थीं सबने अपने अपने स्तर पर भविष्य के लिये कुछ सोच रखा था और अचानक से ये लॉक डाउन  और सब वही रुक गए कुछ समझ नही पा रहे थे की ये क्या हो रहा है आज 8 अप्रैल के बाद भी आगे कुछ समझ नही आ रहा है पर मन कहता है कि हम मनुष्य बहुत अहंकारी हो गए हमे सिर्फ अपना स्वार्थ नजर आता है हमें  प्रकृति की परवाह नही हम जंगल काटे जा रहे और उस पर कंट्रक्शन का काम हरेक जगह हमारा हस्तक्षेप बढ़ गया हम समझने लगे की हर जगह हमारा ही राज है हम भूल गए थे की ये कुदरत सबसे बड़ी होती है तभी तो
सब कुछ थम गया है नही थमा है तो बस प्रकृति का काम सूरज का आना- जाना चाँद का सितारों को लेकर आना और पेड़ो का हमे प्राण वायु देना वही रात और अँधेरे को चीरती  वही सुबह पैरो तले  जमीं और सर पे हमारे वही आसमाँ
हमने प्रकृति को अपनी सत्ता समझ रखा है लेकिन प्रकृति हमे अपनी संतान  समझती है
वो सड़के जो रफ्तार से हाफ जाती थी आज सुस्ता रही है
आकाश में पक्षियों को उड़ने के लिये विचरण के लिये देखना पड़ता था वो आसमाँ आज खाली  है
हम प्रकृति से खिलवाड़ करते आ रहे है प्रकृति का संतुलन हम बिगाड़ रहे है और हम फिर भी प्रकृति से उम्मीद रखे की वो हमें माफ़ करती रहै हम कब सबक लेंगे।केदारनाथ का प्रलय हम भूल गए ।
कब तक हम अपना स्वार्थ ही साधते रहेंगे।आज इतना सब हम सोच रहे है क्योंकि हम इन 21 दिनों में अपना आत्मविश्लेषण कर रहे है देश के बारे में बात कर रहे हैं
हमने तो रामायण देखि हमारी नयी पीढ़ी को तो ये भी पता नही है  की हनुमान जी सँजीवनी बूटी लेने गए थे । लेकिन अभी के बच्चो को अब पता लग रहा है
रामायण में मैने पढ़ा है कि जब धरती पर अनाचार पाप बढ़ता है तो धरती माता गौ का रूप बनाकर देवताओं के पास जाती हैं और तब देवताओं द्वारा राम के अवतार लेने की बात कही जाती हैं ।
तात्पर्य है कि पृथ्वी पर पाप बहुत बढ़ गया है हम अपने स्वार्थ के लिये क्या कुछ नही कर रहे ।कुदरत को हर रोज हम नजरअंदाज करते है
आज हवाऐ साफ हो गई नदियों के पानी में अब फैक्ट्रियों का गन्दा पानी नही पहुँच रहा है नदिया अब चैन की साँस ले रही हैं । आज हमको अपनी जान की परवाह है आज सब बराबर है कोई अमीर नही कोई गरीब नही
आज डॉक्टर और पुलिस के काम को सराहा जा रहा है
चैत्र महीना जिसमे राम जन्म हुआ ऐसे में पृथ्वी पर पाप का नाश हुआ क्यों की अभी हर कोई ईश्वर आराधना में लगा हुआ है। आज भले ही हम कोरोना की डर से घरों में है लेकिन अपनों के साथ है
यदि हम देश के लिये कुछ करना चाहते है तो हमे घर में ही रहना चाहिए ।
    फिर मिलते है आप भी रहिये अपनों के साथ सुरक्षित
        जय हिंद
         संगीता माहेश्वरी दरक
        सर्वाधिकार सुरक्षित

अभी अपने घर में ही रहना

कोरोना को हराना है तो आप सब घर में रहे🙏
ये वक्त गुज़र जायेगा सब्र तो कर
जान को जान समझ ऐसे तो ना कर
अपनों के साथ उनकी
जान का दुश्मन न बन
दूरियां बना ले तू
मुश्किलों का कारण तो न बन
है ज़रूरत प्रण की बस
इतना ही कर
करना है जो अपने
घर में रहकर ही कर
                 संगीता दरक माहेश्वरी
                    सर्वाधिकार सुरक्षित

कोरोना को हराना है ,Corona has to be defeated ,kill korona


कोरोना को हराना है
पडी है देश पर कोरोना की मार
मिलकर करो इस पर प्रहार
थोड़ा सा धैर्य और संयम रखो
ना जाओ बाजार लगाओ ना भीड़ रखो दूरियां सबसे यदि
रहना हो अपनों के पास
घर की दाल रोटी खाओ और
परिवार के साथ दिन बिताओ
यूँ  राशन की दूकानों पर कतारे ना बढ़ाओ
रखा है जितना पहले वो तो पकाओ
हम भर भर कर लायेंगे तो दूसरे कहाँ जायेंगे
अरे हम उस धरा पर रहते है जहाँ आज भी होली में बुराई
और दशहरे में रावण को जलाते हैं
और आज भी कान्हा जी घर घर के पालनों में झुलते है
ये वक्त भी निकल जायेगा और कोरोना भी खत्म हो जायेगा |
मुँह पर लगाकर रखिये मास्क और धोते रहे अपने हाथ
डॉक्टर, पुलिस और सफाईकर्मी के काम को सराहना है
और अपने घर में रहकर कोरोना को पछाड़ना है
जय हिन्द 
संगीता दरक माहेश्वरी 
सर्वाधिकर सुरक्षित 

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

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