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#मेरी चुभन,#my prick #meri chubhan

फूल तो हर बार कुछ कहते है कभी कभी काँटों की भी सुन लिया करो आज पढ़िये
क्यों कि काँटे फूलों के साथ ही रहते है ...

         मेरी चुभन
बड़ा होता मैं साथ पौधे के
लेकिन शूल ही कहलाता
चाहे डाली पर खिला हो फूल
पतझड़ में छोड़ जाते है सब
रहता हूँ  मैं डाली पर
बढ़ते कदम को रोकता
तूफाँ को भी  मैं झेलता
शूल हूँ पर बनना चाहता हूँ फूल
मेरा भी कोमल मन है
पर कोमलता से कोई छूता न मुझे
मुझमें भी इंसानी फिदरत है चुभ ही जाता हूँ !
तभी तो काँटा कहलाता हूँ !!!!!!
      ✍️संगीता दरक माहेश्वरी
            सर्वाधिकार सुरक्षित

# होगी तेरी जीत #will be your victory

      होगी तेरी जीत     
जिंदगी कितना भी कर ले 
हमको तू परेशां
नहीं हम कमजोर जो गिर जाए  
 जो गिर भी जाए कभी तो 
संभलना आता है हमें     
राहों में आये ,चाहे
कितनी भी मुश्किलें ,
काँटों के बीच राह बना लेंगे हम     
  सपनों व उम्मीद के सहारे , 
मंजिल को अपनी पा ही लेंगे    
ना मिली मंजिले तो भी ,
हमें गम नहीं,
गमों के बीच 
भी खुशियों की राहे
 कम नहीं
माना अभी हम भँवर (तूफान)
से गिरे हैं ,
पर किनारे तो आएंगे                  
तेरा तूफाँ भी थमेगा ,
हमारे धैर्य के आगे
जिंदगी तुझे तो झुकना होगा
साथ हमारे ही चलना होगा !

            ✍️संगीता दरक माहेश्वरी
             सर्वाधिकार सुरक्षित

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

  होलिका दहन आज उठाती है सवाल! होलिका अपने दहन पर,  कीजिए थोड़ा  चिन्तन-मनन दहन पर।  कितनी बुराइयों को समेट  हर बार जल जाती, न जाने फिर ...