Showing posts with label कद्र. Show all posts
Showing posts with label कद्र. Show all posts

ये वक्त है जनाब

कोरोना महामारी में लॉक डाउन के कारण जब सब बंद था तब हर दिन एक समान थे सातो दिन छुट्टी इसलिये रविवार (सन्डे ) की भी कोई एहमियत नही थी

ये वक्त है जनाब,
कद्र किसी की नही करता
एक सन्डे का दिन था ,
जो छः दिन पर पड़ता था भारी ,
और अब आकर चला जाता है
कोई इसे पूछता तक नही
       संगीता दरक©

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

  होलिका दहन आज उठाती है सवाल! होलिका अपने दहन पर,  कीजिए थोड़ा  चिन्तन-मनन दहन पर।  कितनी बुराइयों को समेट  हर बार जल जाती, न जाने फिर ...