कहते है कि वक्त किसी का नही होता न ही किसी के लिये ठहरता है ये वक्त...
ऐ वक्त
जवाब नही ऐ वक्त तेरा कि कब किसकी तरफ तू हो जाये
कंरूँ क्या मैं अभिमान कि तू पहलू में जाकर किसी और के बैठ जाये
मैं थामना भी चाहूँ तुझको
तो क्या एक लम्हा भी न समेट पाऊँ
फिर करू क्यों मैं गुमाँ
हर हस्ती को मिटा आया है तू
चाहे जर्रा हो या हो चट्टान
थमता नही तू किसी के लिये चाहे साँसे थम जाये
संगीता दरक
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