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ये कैसी जिंदगी , life,

मैंने ऐसे कई व्यक्ति देखे जिनकी नजर में जिंदगी की परिभाषा कुछ और ही है उसी पर मैंरे मन के विचार

     ये कैसी जिंदगी
उनके विचारों के प्रतिबिंब में , 
     जिंदगी की झलक नहीं दिखती

सोचती हूँ ,कैसे होंगे उनके
विचार  
कैसा होगा उनका आचार
जो आम जिंदगी में ,
नहीं पाया जाता
          
क्या इतने उच्च विचार है,
उनके जहाँ जिंदगी का निशा
तक नहीं 
या हम जीते हैं वो जिंदगी नहीं
  
 उनकी नजरों में क्या है जिंदगी   
लेकिन कभी सोचती हूँ ,
वे केवल सोचते हैं
उनके विचार में है जिंदगी              
सांसों में नहीं  
 
 उनके सपनों में है जिंदगी,
बातों में नही ।
उनके विचारों के प्रतिबिंब में
जीवन की झलक नहीं मिलती
                    संगीता दरक
             सर्वाधिकार सुरक्षित
 

बन बैठा हर कोई :हिन्दीकविता:#kavi#kaivita #shorts

 शॉल श्री फल और सम्मान मिलना हुआ कितना आसान बन बैठा हर कोई कवि  यहाँ कविताओं की जैसे लगाई दुकान         संगीता दरक माहेश्वरी