मैं और उम्मीद
उम्र के साथ बढ़ते
कभी बंनती बिगड़ती
तो कभी नई पनपती
आस कभी न छूटती
संगीता दरक©
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
मैं और उम्मीद
उम्र के साथ बढ़ते
कभी बंनती बिगड़ती
तो कभी नई पनपती
आस कभी न छूटती
संगीता दरक©
Hello दोस्तों ,दिल कितनी बार टूटता बिखरता ,जुड़ता यही सब चलता रहता जीवन भर,कभी कुछ छूटता तो दिल टूटता ये दिल........
दिल💔 टूट सा जाता हैं
जब कोई लम्हा जिंदगी का
पीछे छुट जाता हैं।
यादो में बिखरी जिंदगी
समेटती हूँ
तो आँख भर आती हैं
रिश्तों में उलझी जिंदगी
बैगानो सी मिलती हैं
अपनों की छाँव दूर तलक नहीं,
जिंदगी धुप के साये में मुरझाई सी लगती हैं
जीती हूँ, जी लेती हूँ जिंदगी
फिर भी कुछ आस बाक़ी हैं
साँसों की रफ्तार और
मेरी उम्मीदों का फासला
जीने की आरजू और
मौत की तमन्ना सा हैं
✍️संगीता दरक माहेश्वरी
सर्वाधिकार सुरक्षित
https://youtube.com/shorts/UpRwcB-9Oqw?si=k9V1nOBIUOVCqvBm आज का कड़वा सच सुनिए और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे