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सपनों को तो साथ चाहिए

            सपनों को तो साथ चाहिए

            सपनों को तो साथ चाहिए 

           बस एक अंधेरी रात चाहिए 

           आएंगे और समा जाएंगे 

     पलकों तले और कभी बह जाएंगे अश्को में  

       मैं  कह उठती हूँ

              क्यों आते हैं मुझे सपने 

               जो नहीं है मेरे अपने

            कभी लगता है इन से डर 

               भागती हूँ उनसे दूर 

     मगर फिर सोचती हूँ यही तो मेरा सहारा है

      क्यों कि हकीकत तो मुझसे दूर भागती है

                 संगीता दरक माहेश्वरी©


मेरा ख़्वाब, my dream ,khawab

मेरा ख़्वाब "
आज फिर कोई ख़्वाब
हाथ से मेरे यूँ फिसल गया।
मानो रेत से बनाया हो मैने महल ।
लेकिन, ये वही ख़्वाब तो है ।
जिसे मैंने बचपन से संजोया ।
अपनी पलको तले बसाया।
फिर क्यों हुआ वो पलको से मेरी दूर ।
चिलमन में जा बैठा ,किसी और के
फिर मैं रहीअकेली।
                       संगीता दरक माहेश्वरी
                          सर्वाधिकार सुरक्षित

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

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