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खोखले रिश्ते

 खूब की कोशिश हमने निभाने की

चालाकिया समझ न आई हमे जमाने की
रिश्तों के नाम पर  मन बहुत हर्षाया
मन को बहुत बार ये कहकर समझाया था
पर मन अब ये समझने लगा है
खोखले रिश्तो में अब बचा क्या है
             संगीता दरक©

रिश्ते,relations,Rishte

 

कुछ रिश्ते हमे बने बनाये मिलते है

              और

कुछ बन जाते हैं कुछ निभाने पड़ते है 

                 और 

           कुछ निभ जाते हैं।

              संगीता दरक©

आसान नही होता, wouldn't be easy ,aasan nhi hota

Hello दोस्तों,
जीवन में क्या सब आसान होता है,कितना कुछ सहेजना और छोड़ना पड़ता है ,यहाँ कुछ भी आसान नही है ,
पढ़िये मेरी रचना
आसान नही होता

आसान नहीं होता
आसान नहीं होता
बिखरते पलों को समेटना
और,
नये लम्हों को सजाना,
अनकही बातों को यूँ संभालना,
कहाँ आसान होता है।
ज़िंदगी के शोर में ,
‌ख्वाहिशों की चुप्पी को सुनना,
कहाँ आसान होता है।
हर बार अपने आप से मिलना,
मिलकर भी अनदेखा करना ,
कहाँ आसान होता है।
रिश्तों को निभाना और
अपनी खुशी को बयां करना,
कहाँ आसान होता है।
हर बार जीना और
जीने के लिये मरना ,
कहाँ आसान होता है...।।

            संगीता दरक
           सर्वाधिकार सुरक्षित

मतलब के रिश्तों में,matlab k rishto m,

मतलब के रिश्तों में,
बेमतलब उलझने लगे।
परायों की भीड़ में,
हम अपनों को ढूंढने लगे।
चंद रोज की है जिंदगी,
और इसे हम अपना समझने लगे।
ख़्वाहिशें अपनी भूलकर,
सींचे जिनके सपने,
बदल गए वो ,
ना रहे अब  अपने।
                      संगीता दरक
               सर्वाधिकार सुरक्षित

मेरा स्वाभिमान,my self respect

     मेरा स्वाभिमान
लाई थी साथ ,मैं
अपने स्वाभिमान को।
पर साथ अपने रख ना पाई ।
स्वाभिमान के साथ रिश्तों को
निभाना कठिन लगता है ।
स्वाभिमान जब साथ होता है,
तो रिश्ते सिमटने लगते है।
और जब अपने स्वाभिमान
को पुराने कपड़ो की
तह के नीचे रख देती हूँ तो ,
सब सहज हो जाता है
         संगीता दरक©

ये रिश्तों की बगिया,garden of relationships.,


      ये रिश्तों की बगिया........

ये रिश्तों की बगिया ,यूँ ही नहीं महकती।
मिट्टी सा समर्पण,और बीज सा धैर्य
रखना होता है।
मिलती तो हैं बहार ,पर पतझड़
को भी सहना पड़ता है,
और काँटों तले फूलों सा
खिलना पड़ता है।
ये रिश्तों की बगिया, यूँ ही नही महकती,
पत्तियों और शाख़ की जिम्मेदारी भी निभानी होती है।
कभी मालिक तो कभी माली बनना पड़ता है।
सुखी टहनियों को,अलविदा कहकर
नयी कोपलों की उम्मीद
जगानी पड़ती है।
ये रिश्तों की बगिया यूँ ही नही महकती,
त्याग और विश्वास से इसे
सींचना पड़ता है।।।
              ✍️संगीता दरक माहेश्वरी
               सर्वाधिकार सुरक्षित

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

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