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ऐ तकदीर,my luck,destiny


 कहते है कि जो भाग्य में होता है वही मिलता है ,वक्त से पहले और तकदीर से अधिक किसी को कुछ नही मिलता 

आज इसी विषय पर मेरी रचना

       ऐ तकदीर

ऐ तकदीर, तुझसे करुँ क्या गिला 
मेरे हिस्से में था, जो मुझे  मिला 


कदम मेरे भी उठे थे ,मंजिलों  की तरफ 
कारवाँ भी था ,पर हमसफर ना मिला 
ऐ तकदीर तुझसे करुँ क्या गिला 
जब अपना कोई ना मिला 


होठों पे हसीं मैं भी लाती रही
अश्कों कोअपने छुपाती रही
चेहरे पर चेहरा लगाती रही
ऐ तकदीर तुझसे करुँ क्या गिला 
जब आईना ही बेवफा मिला

 
आशियाना मैंने भी बसाया था 
थोड़ा आसमां मैंने भी बचाया था 
सितारों से सजाया था 
ऐ तकदीर तुझसे करुँ क्या गिला 
सितारों भरा आसमा मुझे न मिला 


कश्ती होती मेरी भी किनारों पर 
किस्मत होती जो मेरे साथ 
ऐ तकदीर........

संगीता दरक माहेश्वरी 

सर्वाधिकार सुरक्षित 


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