Hello दोस्तों,
जीवन में क्या सब आसान होता है,कितना कुछ सहेजना और छोड़ना पड़ता है ,यहाँ कुछ भी आसान नही है ,
पढ़िये मेरी रचना
आसान नही होता
आसान नहीं होता
आसान नहीं होता
बिखरते पलों को समेटना
और,
नये लम्हों को सजाना,
अनकही बातों को यूँ संभालना,
कहाँ आसान होता है।
ज़िंदगी के शोर में ,
ख्वाहिशों की चुप्पी को सुनना,
कहाँ आसान होता है।
हर बार अपने आप से मिलना,
मिलकर भी अनदेखा करना ,
कहाँ आसान होता है।
रिश्तों को निभाना और
अपनी खुशी को बयां करना,
कहाँ आसान होता है।
हर बार जीना और
जीने के लिये मरना ,
कहाँ आसान होता है...।।
संगीता दरक
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