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बेजार सी एक रात,a poor night

         बेजार सी एक रात
बेजार सी एक रात आँखों में,
आज मेरे यूँ उतरती है।
ख्वाबो की खलिश,आँखों को
यूँ खटकती हैं।
ख्वाहिशों की बंजर जमीं में
रेगिस्तान सी पसरी हुई यादे
कैक्टस सी चुभ रही है।
अँधेरी रात आँखों से
कतरा-कतरा बह रही हैं।
बेताब है आँखे मेरी पाने
को आफताब
शायद अब्र उजाले के ले आए।।
               संगीता दरक
          सर्वाधिकार सुरक्षित

#लाखो चाँद ,#millions of moons

आज चाँद को देखकर चाँद बनने की कोशिश ...हाँ सच में पढ़िये मेरी रचना

       लाखो चाँद
लाखो चाँद, आज टकटकी लगाए
देखेंगे उस चाँद को।
और मांग लेंगे खुशियाँ जहाँ की
करता वो रोशन आसमाँ को ,
तो हम भी इस जमीं की रौनक है।
तू हर रोज घटता बढ़ता है,
तो हम पर भी,
रिश्तों का रंग चढ़ता रहता है।
तेरी शीतलता का जवाब नही,
और हम सादगी और सृजनता में बेमिसाल है।
आज तेरे दर्श को हम यूँ बेताब है,
हमारे लिए तो तू आज  आफ़ताब है।
ऐ चाँद यूँ ही तू रोशन रहना,
और जोड़िया हमारी
सलामत रखना
                    संगीता दरक
             सर्वाधिकार सुरक्षित

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

  होलिका दहन आज उठाती है सवाल! होलिका अपने दहन पर,  कीजिए थोड़ा  चिन्तन-मनन दहन पर।  कितनी बुराइयों को समेट  हर बार जल जाती, न जाने फिर ...