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ये वक्त है जनाब

कोरोना महामारी में लॉक डाउन के कारण जब सब बंद था तब हर दिन एक समान थे सातो दिन छुट्टी इसलिये रविवार (सन्डे ) की भी कोई एहमियत नही थी

ये वक्त है जनाब,
कद्र किसी की नही करता
एक सन्डे का दिन था ,
जो छः दिन पर पड़ता था भारी ,
और अब आकर चला जाता है
कोई इसे पूछता तक नही
       संगीता दरक©

बन बैठा हर कोई :हिन्दीकविता:#kavi#kaivita #shorts

 शॉल श्री फल और सम्मान मिलना हुआ कितना आसान बन बैठा हर कोई कवि  यहाँ कविताओं की जैसे लगाई दुकान         संगीता दरक माहेश्वरी