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#मेरी चुभन,#my prick #meri chubhan

फूल तो हर बार कुछ कहते है कभी कभी काँटों की भी सुन लिया करो आज पढ़िये
क्यों कि काँटे फूलों के साथ ही रहते है ...

         मेरी चुभन
बड़ा होता मैं साथ पौधे के
लेकिन शूल ही कहलाता
चाहे डाली पर खिला हो फूल
पतझड़ में छोड़ जाते है सब
रहता हूँ  मैं डाली पर
बढ़ते कदम को रोकता
तूफाँ को भी  मैं झेलता
शूल हूँ पर बनना चाहता हूँ फूल
मेरा भी कोमल मन है
पर कोमलता से कोई छूता न मुझे
मुझमें भी इंसानी फिदरत है चुभ ही जाता हूँ !
तभी तो काँटा कहलाता हूँ !!!!!!
      ✍️संगीता दरक माहेश्वरी
            सर्वाधिकार सुरक्षित

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