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व्यंग्य "होली के रंग राजनीती के संग" (Sarcasm) Holi colors with politics

             व्यंग्य
होली के रंग राजनीति के संग
  होली के दिन पूछा मैंने नेताजी से
क्यों ?आप नहीं खेलेंगे होली ,
वे बोले, क्यों करते हो भाई हंसी ठिठोली अपनी नीति में कई रंग हैं
परिवर्तन की लहर अभी भी संग हैं
रंग लगाओ हमें तुम ही कौन सा,
देखो हर रंग में रम जाएंगे।
काला छोड़ सब हमें प्रिय हैं,
उसमें हम पहले ही पूर्ण हैं,
सफेद रंग हे प्रिय हमारा
समझो है वो सहारा।
वैसे तो हम रंग जमाते हैं,
वर्षभर होली मनाते हैं ,
भ्रष्टाचार घोटालों के रंगों में
डुबकियाँ  लगाते हैं,
फिर भी बेरंग हम निकल आते हैं।
‌ वर्ष पर हम खेलते हैं होली
‌  जनता बड़ी हैं भोली
अब तुम ही बोलो रंग हम लगाते हैं ना
इतना सुन मेरा चेहरा पीला पड़ गया।
इतना सुन मेरा चेहरा पीला पड़ गया।।
‌              संगीता दरक
‌            सर्वाधिकार सुरक्षित

#मुझे गर्व है , #proud of my culture

भारत त्योहारों का देश है, मेरे देश की बात ही अलग है आप भी अपनी संस्कृति को पढ़िये मेरे साथ मेरी रचना में

मुझे गर्व है ........
मुझें गर्व है मेरे सनातन धर्म
और संस्कृति पर
हरेक त्यौहार कुछ न कुछ कहता है
जीवन में रंग भरता रंगों का त्यौहार
तो रिश्तो की मिठास को
बढ़ाता रक्षा पर्व
और करता अँधेरे का नाश
दीपो उत्सव
हर त्यौहार की बात निराली है
त्यौहारों की मिठास और अपनों
का साथ जीवन में लाता है उमंगें नई
हर त्यौहार की बात निराली है
कई सपनों और ख्वाहिशो की
नींव तो दीवाली है
कितना भी हो हम परेशां पर
त्यौहार के आने से मन में
भर जाता उल्लास
बिछड़े अपने भी घर लौट आते है
सारे त्यौहार में अपने मिल जाते है
जीवन को गति देते , ये त्यौहार
ईश्वर में आस्था को दर्शाते
ये त्यौहार
छोटे बड़े सबकी खुशिया का कद
बढ़ाते ये त्यौहार
क्यों न हो हमे गर्व ,
हर त्यौहार हमे जीने का संदेश देते है
👏👏🙏

            संगीता दरक©

ख़्वाब ऐसे होते है....dreams are like this,

आज सपनो की बात करते है कैसे बुंनते है हम सपने .....

रात के कैनवास पर जीवन के रंगों से
उकेरी हुई आकृतियाँ ,
होती है ख़्वाब ।
कुछ मन से,कुछ अनमने से ।
लुभावने ख़्वाबों, को
पूरा करने में जुट जाता
ये तन-मन
होते पूरे, जब ख़्वाब
झूम उठता मन
अधूरे ख़्वाब मिटते ,
फिर लेते नया कोई आकार।।
                संगीता दरक माहेश्वरी
                  सर्वाधिकार सुरक्षित

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

  होलिका दहन आज उठाती है सवाल! होलिका अपने दहन पर,  कीजिए थोड़ा  चिन्तन-मनन दहन पर।  कितनी बुराइयों को समेट  हर बार जल जाती, न जाने फिर ...