Showing posts with label आदमी. Show all posts
Showing posts with label आदमी. Show all posts

जय महावीर jay mahaveer

 महावीर जन्म कल्याणक पर्व पर आप

सभी को बहुत-बहुत बधाई...शुभकामनाये 


हम अपना व अपनो का जन्मोत्सव तो बड़े हर्ष से मनाते हैं, लेकिन बात जब उस परमात्मा की हो।

इनका जन्म अंतिम जन्म हुआ। और उसके बाद अहिंसा अपरिग्रह  और आत्मध्यान आदि के माध्यम से मोक्ष चले गए।

मन मे अपार हर्ष होता है महावीर भगवान के पद चिन्ह पर निरंतर चलने वाले,

मुनि 108 श्री प्रणम्य सागर जी और 108 चन्द्रसागर जी महाराज श्री का आगमन माह दिसम्बर सन 2015 मैं मनासा हुआ और इस पुनीत पावन अवसर का लाभ 

हमें भी मिला...  

महाराज श्री ने अपने प्रवचनों के साथ 

सभी को अर्हम योग भी सिखाया।

मुझे महाराज श्री के समक्ष कुछ बोलने का अवसर मिला। आज आप सबसे वही साझा कर रही हूँ 

     "सुबह से शाम तक दौड़ता है आदमी" 

    सुबह से शाम तक दौड़ता है आदमी,

   दौड़ते दौड़ते दम तोड़ता है आदमी।

   संतों की वाणी की छांव में,

  पल भर बैठता है आदमी।

   दर-दर भटकता है, राम को ढूंढता है

 लेकिन जब ज्ञान गुरुवर का मिलता है       

 अपने अंतरात्मा में,

राम को पहचानता है आदमी । 

गुरु की वाणी से ही सँवरता है , 

शिक्षा और संस्कारों के महत्व को 

जानता है आदमी ।

  गुरु के ज्ञान से उन्हें,

  अमल में लाता है आदमी ।

 ओम अर्हम के नाद से अपने

 स्वास्थ्य को सुधारता है आदमी ।

 सुबह से शाम तक दौड़ता है आदमी, 

 और अपनी आपाधापी से जब

 थकता है,पल भर सुस्ताता है, 

गुरुवर के चरणों में आदमी ।

       संगीता दरक माहेश्वरी

आदमी आदमी ना रहा

    जिस रफ्तार से हम जी रहे है अपने आपको पीछे छोड़ते जा रहे है इसी व्यथा को बंया करः रही मेरी रचना     
 
आदमी आदमी ना रहा
फिरते हैं शब्द भी, अपने अर्थ के लिये
रिश्तों की मिठास, अट्टहास बन गई

उलझा है आदमी ,
शब्दों के जाल मे ऐसे,
सहेजता कुछ नही उड़ेलता है ,बस

हर त्यौहार फीका -फीका सा लगता है
दिखावा ही आदमी की पहचान बन गई
कुदरत ने बदला कुछ नही,
बस हम इंसानों की नियत बदल गई
रिश्तों की जिम्मेदारी
अब आफत बन गई

दिखावा और  बेईमानी
अब शराफत  बन  गई
देखो अपनी संस्कृति को
पश्चिमी   सभ्यता छल गई

आदमी आदमी न रहा
मशीन बन गया
आदमी का काम मशीन
और मशीन का काम आदमी
कर  रहा

देखो कैसे जीने के नाम पर
अपने आपको छल रहा
और राजनीति के नाम पर आज भी देश बंट रहा !
             ✍️संगीता दरक माहेश्वरी
               सर्वाधिकार सुरक्षित

आदमी हूँ मैं , i am human


मेरी रचना का विषय है "आदमी हूँ मैं" हम इंसान भी अपने आप से प्रतिस्पर्धा करः रहे है पढ़िये ......

   आदमी हूँ मैं
आदमी हूँ आदमी की तरह
सोचता हूँ ।
दौड़ में आगे निकलने के लिए,
अपने आप को पीछे धकेलता हूँ।।
कभी अपनी परछाई ,
पाने के लिएअपने आप को
मिटाता हूँ
कभी जीने के लिए ,
अपनी ही साँसों को छिनता हूँ।।
गम को सहने के लिए ,
अपनी ही हँसी को तोड़ता हूँ।।
आदमी हूँ हर वक्त ऊपर उठने
  की  सोचता हूँ।।

     ✍️संगीता दरक माहेश्वरी
             सर्वाधिकार सुरक्षित
                  

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

  होलिका दहन आज उठाती है सवाल! होलिका अपने दहन पर,  कीजिए थोड़ा  चिन्तन-मनन दहन पर।  कितनी बुराइयों को समेट  हर बार जल जाती, न जाने फिर ...