खूब की कोशिश हमने निभाने की
चालाकिया समझ न आई हमे जमाने कीरिश्तों के नाम पर मन बहुत हर्षाया
मन को बहुत बार ये कहकर समझाया था
पर मन अब ये समझने लगा है
खोखले रिश्तो में अब बचा क्या है
संगीता दरक©
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
खूब की कोशिश हमने निभाने की
चालाकिया समझ न आई हमे जमाने कीhttps://youtube.com/shorts/UpRwcB-9Oqw?si=k9V1nOBIUOVCqvBm आज का कड़वा सच सुनिए और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे