"जो रंग चढ़ा है आज ( देशभक्ति )
का उसे उतरने मत देना।"
दौड़ता है रगो में ,जिस रफ्तार से लहू
वो रफ्तार कम न होने देना।
और बात जब देश हित की
होतो क्या पार्टी क्या ताज।
वीरो की ये धरती है ,बता देना
नापाक इरादे रखने वालों को ।
देखा जो हमारी तरफ आँख
उठाकर खाक में मिला देंगे।
जय हिंद जय भारत
संगीता दरक ©
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
#मेरा _देश #मेरा _वतन
जय जवान जय किसान, jay jawan jay kisan
जय जवान जय किसान
जय जवान जय किसान
ये है तुम्हारी पहचान।
धरती को चीर के सोना उगाते हो,
पसीने को पानी के जैसे बहाते हो।
फिर आज क्यों हाथों में तुम्हारे "हल" नही।
हवा और पानी का रुख तुम बेहतर समझते हो,
फसल और खरपतवार को अलग करते हो।
अपनी उचित मांगो का तुम भले ही निराकरण करो,
माँ भारती के लाल यूँ तुम राष्ट ध्वज का अपमान ना करो।
अन्नदाता हो तुम, यूँ अपने आप को बदनाम ना करो।
अपनी जमीं अपना है आसमाँ,
फिर क्यों दूसरो के बहकावे में आते हो।
अपनी धरती माँ का शीश झुकाते हो।।
संगीता दरक
सर्वाधिकार सुरक्षित
बूढ़े माता पिता
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