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अलविदा 2020


अलविदा 2020
बीतने को है एक साँझ,     
होने को है एक नयी भोर।
नया उजाला नयी उमंग,
फैली चारो और।
नया गगन नयी चली है बयार,
खोलकर पंख उड़ने को, 
जिंदगी है बेकरार।
सपनो की कश्ती में सवार,
किनारे की और
बीतने को है एक साँझ
होने को है एक नयी भोर।
नयी ख्वाहिशे नयी उमंगें
ले रही है आकार,
नया सफर नयी मंजिले
भी हैं तैयार।
बीतने को है एक साँझ,
होने को है एक नयी भोर।

  "थमता नही सफर जिंदगी का,
बस मुसाफिर बदल जाते है,
आइने वही रहते,
बस चेहरे बदल जाते है"।
    
             संगीता दरक माहेश्वरी
             सर्वाधिकार सुरक्षित

कुछ पल सुस्ता लूँ

जीवन की भागदौड़ से जब मन थक जाता है तब मन कुछ यूँ कहता है

         "कुछ पल सुस्ता लूँ"
  जीवन की आपा धापी में,
   कुछ पल सुस्ता लूँ ।
करके साधना, 

नित्य की ये
दौड़ धुप में अपने आप को
खो आया ।
अपने आपको अपनी
अंतर आत्मा से मिलवा दूँ।
करके शांत चित्त को ,
आज समझा दूँ।
नश्वर है ये जीवन,इसे बतला दूँ।
जीवन की हो साँझ,
उससे पहले थोड़ा पुण्य कमा लूँ
डूबती है ज्यों ये साँझ
जीवन भी खो जायेगा
एक दिन फिर होगी भोर
फैलेगा उजियारा चहूँ और
          संगीता दरक
      सर्वाधिकार सुरक्षित

बूढ़े माता पिता

 https://youtube.com/shorts/UpRwcB-9Oqw?si=k9V1nOBIUOVCqvBm आज का कड़वा सच  सुनिए और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे