मेरा ख़्वाब "
आज फिर कोई ख़्वाब
हाथ से मेरे यूँ फिसल गया।
मानो रेत से बनाया हो मैने महल ।
लेकिन, ये वही ख़्वाब तो है ।
जिसे मैंने बचपन से संजोया ।
अपनी पलको तले बसाया।
फिर क्यों हुआ वो पलको से मेरी दूर ।
चिलमन में जा बैठा ,किसी और के
फिर मैं रहीअकेली।
संगीता दरक माहेश्वरी
सर्वाधिकार सुरक्षित
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मेरा ख़्वाब, my dream ,khawab
यूँ हर बात का हिसाब ,yu her bat ka hisab
यूँ हर बात का...
क्यों कभी कोई अचानक दुनिया को छोड़ने का फैसला कर लेता है ,क्यों लाखो दिलो पर राज करने वाले अपने दिल के राज किसी को बता नही पाते
आज की मेरी ये रचना भी इसी बात को लेकर है....
यूँ हर बात का हिसाब ना लगाया कर
जिंदगी है जी लिया कर
माना कि सफर लंबा है
थोड़ा ठहर भी जाया कर
ख्वाब जो हुए पूरे
खुशियाँ उनकी भी मना लिया कर
अधूरे ख्वाब को ख्वाब समझ
भूल जाया कर
जिंदगी है जी लिया कर
बेशक चेहरे पर चेहरा चढ़ा लिया कर,
पर किसी एक से तो दिल की बात किया कर
माना कि लाखों गम है जिंदगी में
खुशियाँ भी तो हजार हैं
कभी उनको भी समेट लिया कर
जिंदगी है जी लिया कर
जिंदगी है जी लिया कर
संगीता दरक
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#तेरी_रजा_क्या_है#Zindagi
कुछ ख़्वाब कुछ उम्मीदें हैं
तुझसे, जिंदगी
बता तेरी रज़ा क्या है,
हर बात तेरी ही होकर रही तो
जीने के लिये बचा क्या है !
संगीता दरक माहेश्वरी
सर्वाधिकार सुरक्षित
होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #
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