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"लेडीज फर्स्ट " ladies first

        
लेडीज फर्स्ट
जी हाँ , "पहले आप"
मैं आपकी और मेरी ही बात करः रही हूँ क्यों न आज हम अपनी ही बात करें आज तो दिन भी हमारा हैं
"हैप्पी वुमन्स डे"
और अपने आप से एक वादा यह भी करे की हर दिन हम अपने आपको याद रखेंगे।
"लेडीज फर्स्ट" सब कहते है  पर हम लेडीज सबसे आगे कहा रहना
चाहती हैं।
ऐसी बात नही की हम महिलाये पीछे हैं
हम में से कई महिलाओं ने सफलता के नये आयाम स्थापित किये हैं
मेरी बात उन बहनों के लिये जो हमेशा कहती है की, हमें अपने लिये समय नही मिलता,
वो अपने आप को सबके बाद देखती हैं
हमे अपने आप को महत्व देना होगा, तभी हमे कोई और महत्व देगा, और हमारे महत्व को समझ पायेगा।
केरियर हो या अपनी पसंद का खानपान या हो पहनावे की बात या हो हमारा पुराना कोई शौक  हम पहले आपने आप को कहा मौका देते है।
हम तो दिन भर में अपने आप से मिल ले वही बहुत है, हमे सबके लिये समय होता है बस हमअपने लिये ही समय नही निकाल पाते ।
हम जिम्मेदारियों के साथ इतना आगे निकल जाते है कि हम आपने आप को   छोड़ देते है। और  जब कभी कोई आपकी पसंद का काम करता है तो आपको याद आता है कि हाँ ये तो मुझे भी पसंद है, चाहे वो कोई हुनर हो या डांस या गाने की हो बात,
जब हमारे बच्चे छोटे होते हैं, तो हम सोचते है की बच्चे बड़े हो जाये।
लेकिन हम ये भूल जाते हैं,
कि जिम्मेदारियो से कभी मुक्त नही हो पाते ,जीवन में कुछ न कुछ लगा रहता है। इसलिये हमे अपने आप को भी साथ में रखना चाहिये।
विवाह से पहले की स्थिति में जब हम होते है तो बात कुछ और होती है और विवाह के पश्चात नयी जिम्मेदारियों के साथ हम आगे बढ़ते रहते है, मैं ये नही कहती की हमे जिम्मेदारियों का वहन नही करना चाहिए बल्कि हमें अपने आपके प्रति भी सजग होना चाहिए।
40 की उम्र पर करने पर हमें शारीरिक चुनोतियों को स्वीकारना होता है,
वैसे भी हम में फिजिकल बदलाव होते है तो हम महिलाये अक्सर मोटापे का शिकार हो जाती है ,
हमे अपने आपको फिट भी रखना होगा
स्वस्थ और खुश रहेंगे तो हर काम बखुबी करः पाएंगे ।
आप सुबह अपने रूटीन से 10 मिनिट पहले उठिये और आँखे बंद करके अपने बारे में सोचिये हर रोज अपने आप से मिलिए  जानिए ,
अपने आप से पूछिए की क्या आप अपने आप से संतुष्ट है ।
दिनभर कितना भी व्यस्त रहे 15 मिनिट अपनी पसंद का काम जरूर करिये ।
अभी भी देर नही हुई है
"जब जागे तब सवेरा" अपने शौक और ख़्वाहिशों को समय देकर सींचिये देखना ये फिर से हरे भरे हो जायेगे
और आप भी मुस्कुराने लगेगी
हम सबमें कोई न कोई हुनर या हममें कोई शौक होता है जो समय के साथ हम उसे समेट देते हैं
अरे  हम सबको सहेजते सवाँरते हैं
चाहे वो घर हो या रिश्तें फिर
हम अपने आपको बिखरा हुआ क्यों रखते है ।    
हर सुबह आप आईने के  सामने जब सँवरती है तब उस चेहरे को गौर से देखिये और उससे हर रोज मिलने का वादा करिये और जब फुर्सत मिले या निकाले उससे बात करिये उसे समझिए 
फिर देखिये हर दिन आपका आपके साथ गुजरेगा। और आप अपने आप में वो ढूँढ़ लेंगी जिसको आपने खो दिया।
अपने आप के साथ रहिये मस्त रहिये।

"बेटी,बहन पत्नी माँ और कई किरदार सबमें समाई,
लेकिन बारी जब खुद की आई,
तो क्यों हम खुद को ही भूल गई"
महिला दिवस की आपको ढेरों बधाई
     संगीता दरक
              सर्वाधिकार सुरक्षित
  

मेरा हिसाब,mera hisab,my account

मेरा हिसाब,,,,,,,,,
👨साल का आखिरी महीना आज सबके हिसाब करके नये साल से नयी शुरुआत करनी होगी
........और मेरा हिसाब👩
बेटी बहन ,पत्नी बहु और माँ कितने ही किरदारों में,. मैं सिमटी
हर किरदार  को बखुबी निभाती
इन सब में अपने आप को भी
भूल जाती ।
बेटी बनती तो भाई नाराज और
बहन बनती तो भाभी नाराज हरेक को मुझसे अपेक्षाएं।
पत्नी और बहू के किरदार में तालमेल कभी सास की ख़ुशी तो कभी पति की इच्छाओं का सम्मान,
बच्चो के लिये कभी ढाल बनती तो,
कभी बन जाती बिना डिग्री लिये बेमिसाल वकील ,जो हर दलील में खुद को ही गवाह और मुजरिम भी मानती।
कभी सोचती हूँ, ईश्वर ने नारी को ऐसे रचा जो हर साँचे में फिट बैठता है।
ढेरों किरदार हर रोज निभाती ना कोई पगार ना छुट्टी और ना इंनक्रीमेन्ट की झंझट।
कभी मायके तो  कभी ससुराल में,
मैं हरदम सामंजस्य के पूल बनाती
और अपने सफर को आसान
बनाने की कोशिश में लगी रहती ।
मायके में रहती तो जी जान लुटाती पर उस घर को अपना न कह पाती।
और कभी जो अपना हक मांग
लिया तो,
सबकी नजरो में गलत ठहराई जाती।
और ससुराल के घर को वो सर्वस्य सौंपकर भी अपना  नही जता सकती कहने को वो हाउस वाइफ होती है पर बात जब कभी आत्मसम्म्मान की आती, और बात अलगाव पर पहुँचती तो उसे अहसास होता की वास्तव में उसका घर है कहाँ।
जमीं का टुकड़ा ,कीमत चुकाकर खरीदो और पैसों के बल पर मकान बना लो
पर उसको घर स्त्री ही बना सकती है
जी हाँ आज भी ऐसे घर जहाँ गृहलक्ष्मी
का वास नही वहाँ सुकूँन नहीं।
इसलिये कभी हमारा भी आकलन कर लिया करो
आपके हिसाब के एक हिस्से में हमसे ही आपका पलड़ा भारी है
"माना कि पुरुष के पीछे नारी चलती है पर संसार नारी के बिना नही चलता"
                संगीता दरक©

अधूरी है कहानी मेरी,my story is incomplete,adhuri khavahishe

समय बीतता जाता है बहुत कुछ पाने के बाद भी लगता है कुछ बाकि सा है और सपने पूरे करना है ख्वाहिशे बाकि है
    
    अधूरी है कहानी मेरी

  अधूरी है कहानी मेरी
  अभी कुछ किरदार बाकी है
  चंद ख्वाहिशे हुई है पूरी
  अरमान सारे बाकी है
  मुट्ठी भर जमीं हाथ आई है
अभी तो पूरा आसमान बाकी है
  खिले हैं फूल चंद मुस्कुराहटो के ,
अभी तो पूरा गुलशन बाकी है
  इश्क अभी - अभी  हुआ है
    जिंदगी से  
  फलसफा  ऐ  जिंदगी 
समझना अभी बाकी है!
                ✍️संगीता दरक माहेश्वरी
                      सर्वाधिकार सुरक्षित

होलिका दहन #होलिका #दहन #होली #

  होलिका दहन आज उठाती है सवाल! होलिका अपने दहन पर,  कीजिए थोड़ा  चिन्तन-मनन दहन पर।  कितनी बुराइयों को समेट  हर बार जल जाती, न जाने फिर ...