"तुम और गुलाब "
तेरी यादों से भरी यह किताब,
उस पर यह गुलाब ।
क्या कहूँ, तेरी हर बात बेहिसाब। अनगिनत लम्हें,जो भुलाए नहीं भूलते यादों में आज भी हम मिलते,
खुशियों के फूल हैं खिलते।
बस उस रोज का वह गुलाब ,
और तेरा वह जवाब,
है मेरे लिए नायाब ।
आज भी दिल के कोने में
उसकी खुशबू का पहरा है।
तेरी मेरी यादों का रिश्ता
आज भी गहरा है ।
तुम ,गुलाब और यादों की किताब
❣️❣️✍️संगीता दरक
सर्वाधिकार सुरक्षित
Bahut khub 👌
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