सच बोले कौआ काटे........
आप सोच रहे होंगे कि मैंने कहावत गलत लिख दी कहावत तो कुछ और है
पर वर्तमान में यही कहावत ठीक बैठती है
सच में, आजकल सच बोलना कितना मुश्किल हो गया हैं
कोई सामाजिक संगठन हो या कोई ग्रुप हो लोग अपना मतलब साधते है बस कुछ गलत लगता है या कोई गलत कर रहा है तो पीठ पीछे सब बोलेंगे ओर सामने सब चुप ।
और कोई एकाध जिसे सच ओर साफ कहने की आदत हो वो उनके साथ सच बोलने के लिए खड़ा होता है तो जब वो खड़ा होता है (तो उसको आगे करने वाले ) तब जब वो सच बोलने के बाद मुड़कर देखता है तो उसके साथ कोई नही होता है ।
कभी कभी मुझे विचार आता है कि लोग भगवान के साथ भी चतुराई करते है क्या वो कान्हा जिसने महाभारत में दुर्योधन की चतुराई को भांप लिया वो कलयुग में चतुर लोगो से कैसे अनभिज्ञ रहेंगे
कभी कभी तो लगता है ईश्वर भी राह देखता है कि मैं देखूँ तो सही ये कितनी चतुराई मेरे साथ करेगा ।
आजकल जो सच बोलता है जो सामने ओर साफ कहता है उसकी कोई अहमियत नही है और जो
हाँ जी हाँ जी करता है उसने तो जैसे जग जीत लिया हो
क्या फिर जो सच बोलता हो उसे काले कोओ से डरकर कहि किसी संगठन समुह से जुड़ना नही चाहिए
उसे अपनी सच्चाई और साफ कहने की आदत की सजा मिलनी चाहिए
मैं सोचती भी हूँ कि चतुराई से नारायण सेना पा तो ले पर विजय तो धर्म के सारथी के साथ ही होगी ।
पर सबको समझाए कौन
आजकल हर जगह हर कोई चतुराई से ही अपना काम निकाल रहा या अपनी जगह बना रहा है
लोग इतनी जल्दी रंग बदलते है कि गिरगिट भी सोच में पड़ जाता
यदि आप साफ और सच कहने के आदी है तो अपने कंधे को मजबूत बना लीजिए क्यों कि अनगिनत हाथ आपके कंधे पर बंदूक रखकर चलाने को बैठे है ।
संगीता अजय दरक माहेश्वरी
मनासा जिला नीमच
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