हाथों की लकीरे, hand lines , hatho ki lakiren


     

क्यों हम कर्म से ज्यादा विश्वास  हाथों की लकीरों पर करते है ।आज इसी विषय पर मेरी रचना पढ़िये और सोचिये और अपने कर्मो पर विश्वास रखिये।🙏 

हाथों की लकीरे
हाथों की लकीरों को हाथों में रहने दे
है मंजूर, तकदीर को जो होने दे
मुकद्दर से जो मिलता है,
वो समेट लिया कर

आरजुएं इतनी भी अच्छी नही होती
पढ़ले तकदीर हर कोई हमारी
इतनी सस्ती भी नही होती

वक्त से पहले और नसीब से ज्यादा
किसी को मिलता नही
काँटों के बिना गुलशन कभी
महकता नही

जो बैठे है तकदीर को पढ़ने वाले
पूछो उनसे अपनी किस्मत का हाल

रख भरोसा तू नेक काम किये जा
तकदीर  पूछेगी  तुझसे बता
तेरी रजा क्या है।।।
               ✍️संगीता दरक
                   सर्वाधिकार सुरक्षित

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 शॉल श्री फल और सम्मान मिलना हुआ कितना आसान बन बैठा हर कोई कवि  यहाँ कविताओं की जैसे लगाई दुकान         संगीता दरक माहेश्वरी