कलयुग है.............
पता नहीं क्यों लोगों को सुकून मिलता हैं
दुसरो को परेशान करने में
किस बात का घमंड करते हैं
दुसरों के बहकावे में आकर
अपने रिश्तें खराब करते हैं
क्या मंथरा का होना हर युग में जरूरी हैं
माना राम को श्री राम बनने के लिए वनवास जाना पड़ा लेकिन राजा
दशरथ को जो पुत्र वियोग सहना पड़ा उसका क्या
अगर श्रवण कुमार का श्राप था तो उसके लिए मंथरा का
कैकयी के मन में आग लगाना ये बात उचित है क्या
भाई-भाई के मन में बेर करवाने की कोशिश की गई
महाभारत में पुत्र मोह में धृतराष्ट्र को कुछ दिखाई नही दिया
गांधारी ने पट्टी बांध ही रखी थी
और पुत्र अधर्म पर अधर्म करते गया और पूरे वंश का विनाश हो गया ।
धैर्य रखना होगा कलयुग है
पग-पग पर यहाँ मंथरा बैठी है रिश्तों में जहर घोलने को,
क्योंकि जो दुसरे की आँखों से देखता उसे वैसा ही
दिखाई देगा जैसा उसको दिखाया जाएगा।।