Hello दोस्तों अभी बरसात का मौसम है और इसी मौसम में प्रकृति सृजन या निर्माण करती है बारिश धरती माँ को भिगोती है
और मिट्टी में बीज समाकर सृजन करते है आनंद लीजिये मेरे शब्दों के साथ
सृष्टि सृजन को है तैयार
सृष्टि सृजन को है तैयार,
मेघ बरसे मिट्टी को भिगोकर ,हुए आनंदित
बीज मिट्टी की गोद में समाया,
सूरज की किरणों ने आकर
उसको जगाया।
आती जाती धूप सहलाती,
नन्हा बीज मिट्टी से झाँकता ।
उतावला बाहरी दुनिया को
देखने को ।
अंजान है बाहर के मौसम से,
हवा के थपेड़ों से और हम
इंसानों के प्रहारों से ।
अनुकूल प्रतिकूल मौसम को सहता
देखो वो नन्हा बीज,
पौधा और फिर पेड़ बन गया !
फल -फूल छाँव और जीवन
हर रोज हमको देता ।
और अपने जीवन को सार्थक करता!!
✍️संगीता दरक
सर्वाधिकार सुरक्षित
.
बहुत सुंदर
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