खोखले रिश्ते

 खूब की कोशिश हमने निभाने की

चालाकिया समझ न आई हमे जमाने की
रिश्तों के नाम पर  मन बहुत हर्षाया
मन को बहुत बार ये कहकर समझाया था
पर मन अब ये समझने लगा है
खोखले रिश्तो में अब बचा क्या है
             संगीता दरक©

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