रफ्तार ऐ जिंदगी, speed a life , Rafter a jindagi


जीवन की भागदौड़ में हम माता पिता को ही भूल रहे है ,हमारे पास उनके लिये समय नही है दोस्तों आप मेरी बात से सहमत है पढ़िये इसी विषय पर मेरी रचना

रफ़्तार ऐ जिंदगी
नजर भर उनको भी,
देख लिया कर,
जिनकी आँखों में तू ही बसा।
हर खबर में तू रहना,
पर उनकी( माँ पिता) भी खबर रखना।

जेहन में अपने, इतनी सी बात रखना।
तेरा रब जो हैं, उसको भी"माँ"ने बनाया।

कोई तेरा इंतजार करे,ऐसी
उम्मीद जगाये रखना।
और देना हो जब
उन्हें कांधा ,तो तू तैयार रहना।

उन सुखी टहनियों पर भी
कभी नरम कोपले,
हुआ करती थी
जिस छाँव पर ,आज
तू इतरा रहा है ,
कभी उसी शाख़ की टहनी
हुआ करता था।
          संगीता दरक माहेश्वरी
          सर्वाधिकार सुरक्षित

यूँ हर बात का हिसाब ,yu her bat ka hisab

यूँ हर बात का...

क्यों कभी कोई अचानक दुनिया को छोड़ने का फैसला कर लेता है ,क्यों लाखो दिलो पर राज करने वाले अपने दिल के राज किसी को बता नही पाते
आज की मेरी ये रचना भी इसी बात को लेकर है....


यूँ हर बात का हिसाब ना लगाया कर
जिंदगी है जी लिया कर

माना कि सफर लंबा है
थोड़ा ठहर भी जाया कर

ख्वाब जो हुए पूरे
खुशियाँ उनकी भी मना लिया कर

अधूरे ख्वाब को ख्वाब समझ
भूल जाया कर

जिंदगी है जी लिया कर

बेशक चेहरे पर चेहरा चढ़ा लिया कर,
पर किसी एक से तो दिल की बात किया कर

माना कि लाखों गम है जिंदगी में
खुशियाँ भी तो हजार हैं
कभी उनको भी समेट लिया कर

जिंदगी है जी लिया कर
जिंदगी है जी लिया कर

         संगीता दरक
        सर्वाधिकार सुरक्षित

#तेरी_रजा_क्या_है#Zindagi

कुछ ख़्वाब कुछ उम्मीदें हैं
तुझसे, जिंदगी
बता तेरी रज़ा क्या है,
हर बात तेरी ही होकर रही तो
जीने के लिये बचा क्या है !

         संगीता दरक माहेश्वरी
             सर्वाधिकार सुरक्षित
      

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