यूँ हर बात का...
क्यों कभी कोई अचानक दुनिया को छोड़ने का फैसला कर लेता है ,क्यों लाखो दिलो पर राज करने वाले अपने दिल के राज किसी को बता नही पाते
आज की मेरी ये रचना भी इसी बात को लेकर है....
यूँ हर बात का हिसाब ना लगाया कर
जिंदगी है जी लिया कर
माना कि सफर लंबा है
थोड़ा ठहर भी जाया कर
ख्वाब जो हुए पूरे
खुशियाँ उनकी भी मना लिया कर
अधूरे ख्वाब को ख्वाब समझ
भूल जाया कर
जिंदगी है जी लिया कर
बेशक चेहरे पर चेहरा चढ़ा लिया कर,
पर किसी एक से तो दिल की बात किया कर
माना कि लाखों गम है जिंदगी में
खुशियाँ भी तो हजार हैं
कभी उनको भी समेट लिया कर
जिंदगी है जी लिया कर
जिंदगी है जी लिया कर
संगीता दरक
सर्वाधिकार सुरक्षित
👏👏👏👏
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