रफ्तार ऐ जिंदगी, speed a life , Rafter a jindagi


जीवन की भागदौड़ में हम माता पिता को ही भूल रहे है ,हमारे पास उनके लिये समय नही है दोस्तों आप मेरी बात से सहमत है पढ़िये इसी विषय पर मेरी रचना

रफ़्तार ऐ जिंदगी
नजर भर उनको भी,
देख लिया कर,
जिनकी आँखों में तू ही बसा।
हर खबर में तू रहना,
पर उनकी( माँ पिता) भी खबर रखना।

जेहन में अपने, इतनी सी बात रखना।
तेरा रब जो हैं, उसको भी"माँ"ने बनाया।

कोई तेरा इंतजार करे,ऐसी
उम्मीद जगाये रखना।
और देना हो जब
उन्हें कांधा ,तो तू तैयार रहना।

उन सुखी टहनियों पर भी
कभी नरम कोपले,
हुआ करती थी
जिस छाँव पर ,आज
तू इतरा रहा है ,
कभी उसी शाख़ की टहनी
हुआ करता था।
          संगीता दरक माहेश्वरी
          सर्वाधिकार सुरक्षित

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