ये रक्त पड़ा जो धरा पर
ये रक्त पड़ा जो धरा पर
तू ले जो पहचान
कर फिर मलाल
जो तेरा हो
और मना फिर खुशियाँ
जो और किसी का हो
बस तू ले पहचान
बस ले तू पहचान
जो रक्त पड़ा धरा पर
जीवन के सारे रंग , हौसला और हिम्मत अपनी पुरानी संस्कृति मेरी कविता में देखिये लेख, और शायरी भी पढ़िये ,मेरे शब्द आपके दिल को छू जाये ,और मेरी कलम हमेशा ईमानदारी से चलती रहे आप सब पढ़ते रहिये , और अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत जरूर कराये आपकी प्रतिक्रियाओ से मुझे प्रोत्साहन और मेरी कलम को ऊर्जा मिलेगी 🙏🙏
शॉल श्री फल और सम्मान मिलना हुआ कितना आसान बन बैठा हर कोई कवि यहाँ कविताओं की जैसे लगाई दुकान संगीता दरक माहेश्वरी
अप्रतिम ,👌👌👌
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