ज़माने की भीड़....
जमाने की भीड़ से न रख वास्ता,
बस ईश्वर में रख तू आस्था।
झूठ से न रख वास्ता,
चुन हरदम तू सच का रास्ता।
निराशाओं का जीवन से न हो वास्ता,
आत्मविश्वास भरपूर रख तू अपने अंतस्था।
जीवन मे रोगों से न हो वास्ता,
हरदम अपना तू योग, प्राणायाम का रास्ता।
रहे आनन्द ही आनन्द चाहे हो कोई अवस्था,
बनाये रखना जीवन मे तू अपने अनुशास्ता।
अभिमान अहंकार से न हो वास्ता,
रखना तू हरदम याद ईश्वर की है ये
प्रशास्ता (सत्ता) ।
जमाने की भीड़ से न रख वास्ता,
बस ईश्वर में रख तू आस्था।
संगीता दरक माहेश्वरी©
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